नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने ग्रेजुएशन स्तर के पाठ्यक्रमों ( Admission to undergraduate programmes) में दाखिले के लिए सीट आवंटन की बहुप्रतीक्षित पहली लिस्ट (first list of admissions) बुधवार को जारी कर दी है. इसके साथ दाखिला प्रक्रिया का तीसरा और आखिरी चरण शुरू हो जाएगा. यह सूची पहले 18 अक्टूबर को आनी थी, लेकिन इसे बुधवार तक टाल दिया गया था, क्योंकि बुधवार को सेंट स्टीफंस कॉलेज (St Stephen College) से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला था. इसको लेकर ही लिस्ट को एक दिन के लिए रोका गया था. 
डीयू के प्रवेश संबंधी विषयों के डीन हनीत गांधी ने कहा, ‘‘दिल्ली विश्वविद्यालय की समान सीट आवंटन प्रणाली (सीएसएएस) के पहले चरण को आज जारी कर दिया गया है.’’ यह सूची सार्वजनिक रूप से जारी नहीं की गई है, और सिर्फ उम्मीदवारों को उनके डैशबोर्ड पर उन्हें आवंटित कॉलेज (St Stephen College) और पाठ्यक्रम की जानकारी मिल सकेगी. 

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दाखिला कंफर्म करने के लिए शुल्क जमा करना होगा
उम्मीदवार को ‘यूजी एक्शन’ टैब के नीचे ‘एक्सेप्ट एलोकेशन’ पर क्लिक करना होगा. विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा, ’कॉलेज प्राचार्य से मंजूरी मिलने के बाद छात्रों को अपना दाखिला कंफर्म करने के लिए शुल्क जमा करना होगा.’’ डीयू ने छात्रों को सलाह दी है कि उन्हें जो सीट मिलती है, उन्हें उस पर अपना दाखिला सुनिश्चत कर लेना चाहिए. बयान के मुताबिक, ‘‘उम्मीदवारों को जल्दबाजी नहीं करने और साथ ही अंतिम क्षण तक प्रतीक्षा भी नहीं करने की सलाह दी गई है.’’ 


स्टीफंस कॉलेज मामले में कोर्ट ने दिया ये फैसला 
उधर, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें सेंट स्टीफंस कॉलेज को दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा निर्धारित प्रवेश नीति का पालन करने के लिए कहा गया था. इस नीति के तहत स्टीफंस कॉलेज स्नातक पाठ्यक्रमों में गैर-अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के लिए इंटरव्यू आयोजित नहीं कर सकता. न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की बेंच ने कहा कि वह हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने के पक्ष में नहीं हैं.


क्या था मामला ? 
मई से कॉलेज की वेबसाइट पर अपलोड प्रोस्पेक्टस के मुताबिक,  विश्वविद्यालयीन सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) के स्कोर को 85 फीसदी और इंटरव्यू के लिए 15 फीसदी वेटेज (मान) दिया जाना था, जबकि यह दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमों के खिलाफ था, जिसमें सीयूईटी के लिए शत-प्रतिशत वेटेज दिए गए थे, जबकि इंटरव्यू के लिए कोई वेटेज नहीं प्रदान किया गया था. इस मामले में हाई कोर्ट ने 12 सितंबर को इस ईसाई अल्पसंख्यक संस्थान को दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई प्रवेश नीति का पालन करने के लिए कहा था, जिसके मुताबिक, स्नातक पाठ्यक्रमों में गैर-अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को दाखिले देते वक्त सीयूईटी-2022 के स्कोर का शत-प्रतिशत वेटेज (मान) देना होता है. हाई कोर्ट ने कहा था कि कॉलेज गैर-अल्पसंख्यक श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए इंटरव्यू आयोजित नहीं कर सकता और ऐसे छात्रों का दाखिला सिर्फ सीयूईटी स्कोर के मुताबिक होना चाहिए. 


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