उर्दू-फारसी के 383 शब्दों पर लगी पाबंदी: FIR में नहीं लिखे जाएंगे इल्ज़ाम और चश्मदीद जैसे अल्फ़ाज़
Delhi Police: दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने आदेश जारी करते हुए अधिकारों को कहा है कि कागजी कार्रवाई के दौरान किसी भी तरह के मुश्किल शब्दों का इस्तेमाल ना किया जाए. बल्कि आम बोल चाल वाले शब्द लिखे जाने चाहिए.
Delhi Police: दिल्ली FIR दर्ज कराते वक्त पुलिस अफसरों को आसान भाषा इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है. रोज़ाना के कागजी कामकाज करते हुए मुश्किल शब्दों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है. इसको लेकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने निर्देश जारी कर दिया है. दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा (Sanjay Arora) ने पिछले 11 अप्रैल को इससे संबंधित सर्कुलर जारी किया है और 380 से भी ज्यादा उर्दू व फारसी के शब्दों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है.
एक खबर के मुताबिक अगर सर्कुलर का उल्लंघन होता है तो संबंधित कर्मचारी पर कार्रवाई भी हो सकती है. जारी किए गए निर्देश में कहा गया है कि इल्ज़ाम और चश्मदीद जैसे मुश्किल शब्दों का इस्तेमाल ना किया जाए बल्कि FIR दर्ज करा रहे पीड़ित के आसान शब्दों में ही लिखी जानी चाहिए. कमिश्नर के इस सर्कुलर में अदालत के ज़रिए साल 2019 में दिए गए कोर्ट के फैसले का भी जिक्र किया गया है.
दरअसल साल 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. जिसमें मांग की गई थी कि FIR दर्ज करते वक्त उर्दू और फारसी के मुश्किल शब्दों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने की मांग गई थी. इस याचिका पर साल 2019 में अदालत की तरफ से आदेश जारी किया गया. जिसमें अदालत ने कहा था कि प्राथमिकी आसान शब्दों में लिखी जानी चाहिए. पुलिस अफसर आम लोगों के लिए काम करते हैं, न कि उर्दू या फारसी में डाक्टरेट की डिग्री हासिल करने वालों के लिए.
अदालत के इस आदेश के बाद भी साल 20 नवंबर 2019 को पुलिस कमिश्नर की तरफ से आसान भाषा के इस्तेमाल की बात कही गई थी. हालांकि कहा यह जा रहा है कि इसपर अभी तक ठीक से अमल नहीं हुआ है. जिसके चलते एक बार फिर यह आदेश जारी किया गया है. साथ ही पुलिस अफसरों को इस संबंध में जागरूक करने की बात भी कही गई है.
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