नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा, ‘‘युवा चिकित्सकों का सत्ता के खेल में फुटबॉल की तरह इस्तेमाल न करे’’ न्यायालय ने केंद्र को चेतावनी देते हुए कि अगर वह राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा - अति विशिष्टता (NEET SUPER SPECIALITY) 2021 के पाठ्यक्रम में अंतिम समय में किए गए बदलाव के औचित्य से संतुष्ट नहीं हुआ तो वह प्रतिकूल टिप्पणियां करेगा. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह ‘‘इन युवा चिकित्सकों को कुछ असंवेदनशील नौकरशाहों के हाथों में खेलने की अनुमति नहीं देगा’’, और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare), राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (National Board of Examination) से कहा कि वह अपना घर दुरुस्त करे.


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सरकार को जवाब देने का एक सप्ताह का वक्त दिया 
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को एक सप्ताह के भीतर अन्य दो अधिकारियों के साथ बैठक करने को कहा है. पीठ ने कहा, ‘‘आप बेहतर कारण बताइये क्योंकि यदि हम संतुष्ट नहीं हुए तो आपके बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां पास करेंगे. पीठ ने कहा, ‘‘सत्ता के खेल में इन युवा चिकित्सकों का फुटबॉल की तरह इस्तेमाल न करे. बैठक करें और अपने घर को दुरुस्त करें. हम इन युवा चिकित्सकों के जीवन को कुछ असंवेदशील नौकरशाहों के हाथों में नहीं आने देंगे.’’ शीर्ष अदालत उन 41 स्नातकोत्तर चिकित्सकों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने परीक्षा की अधिसूचना जारी होने के बाद पाठ्यक्रम में अंतिम समय में किए गए बदलाव को चुनौती दी थी.

23 जुलाई को परीक्षा की अधिसूचना और 31 अगस्त को कोर्स बदला, ये क्या है 
शुरुआत में युवा चिकित्सकों की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि उन्होंने इस मामले में एक लिखित दलील भी दाखिल की है. एनएमसी की ओर से पेश अधिवक्ता गौरव शर्मा ने कहा कि वे मामले में जवाब दाखिल करना चाहते हैं और एक सप्ताह के स्थगन का अनुरोध किया. पीठ ने कहा, “श्री शर्मा, एनएमसी क्या कर रही है? हम उन युवा चिकित्सकों के जीवन के बारे में बात कर रहे हैं जो सुपर स्पेशियलिटी कोर्स करेंगे. आपने 23 जुलाई को परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी की है और फिर 31 अगस्त को पाठ्यक्रम बदल दिया है. यह क्या है? उन्हें 13 और 14 नवंबर को परीक्षा में बैठना है.’’ 


छात्रों की कठिनाइयों से अच्छी तरह वाकिफ थे लेकिन बदलाव भी जरूरी था 
एनबीई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें अगले सोमवार तक जवाब दाखिल करने का समय दिया जाए, क्योंकि बदलाव करने के लिए उपयुक्त कारण थे और अधिकारी छात्रों की कठिनाइयों से अच्छी तरह वाकिफ थे और संबंधित तीन प्राधिकारियों के अनुमोदन के बाद इसे मंजूरी दी गई थी.’’ पीठ ने कहा, “फिर श्री सिंह को परीक्षा के लिए अधिसूचना क्यों जारी की गई? अगले साल ऐसा क्यों नहीं हो सकता? आप देखिए, छात्र इन महत्वपूर्ण चिकित्सा पाठ्यक्रमों की तैयारी महीनों पहले से शुरू कर देते हैं। अंतिम समय में बदलाव की क्या जरूरत थी?” 


‘‘कृपया हमें एक सप्ताह का समय दें, हम सब कुछ समझा देंगे’’ 
सिंह ने कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव काफी समय से चल रहा था और 2018 से तैयारी चल रही थी और संबंधित अधिकारियों ने कठिनाइयों का ध्यान रखने की कोशिश की है. उन्होंने कहा, ‘‘कृपया हमें एक सप्ताह का समय दें, हम सब कुछ समझा देंगे.’’ याचिका में कहा गया है कि परीक्षा के प्रचलित प्रारूप के मुताबिक अति विशिष्टता पाठ्यक्रम के प्रश्नों पर 60 प्रतिशत अंक दिए जाते हैं जबकि 40 प्रतिशत अंक अन्य पाठ्यक्रमों से दिए जाते हैं. याचिका में दावा किया गया है कि सूचना बुलेटिन के मुताबिक प्रवेश परीक्षा को “पूरी तरह से बदल दिया” गया और एनबीई ने कहा है कि परीक्षा “स्नातकोत्तर की निकास परीक्षा के स्तर” की होगी.


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