Hit and Run Law: नई आपराधिक संहिता के तहत हिट-एंड-रन मामलों में सजा 2 साल से बढ़ाकर 10 साल किए जाने के खिलाफ ट्रांसपोर्टरों का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन मंगलवार रात केंद्र के आश्‍वासन के बाद खत्‍म हो गया. केंद्र सरकार का कहना है कि वह इसे लागू करने से पहले उनके साथ चर्चा करेगी. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला से मुलाकात की.


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हड़ताल हुआ खत्म
अजय भल्ला ने प्रतिनिधियों को बताया कि नए कानून के तहत प्रावधानों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है. उन्होंने उन्हें यह भी आश्‍वासन दिया कि मंत्रालय इसे लागू करने से पहले AIMTC के साथ चर्चा करेगा. इस आश्‍वासन के बाद कि प्रावधानों को लागू करने से पहले चर्चा की जाएगी, AIMTC ने ड्राइवरों से हड़ताल खत्‍म करने की अपील की.


सरकार ने की थी गुजारिश
इससे पहले हिट एंड रन कानून के मामले में केंद्र सरकार ने अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस के साथ बैठक के बाद सभी ड्राइवर्स से हड़ताल वापस लेने की गुजारिश की. गृह मंत्रालय ने कहा कि फिलहाल ये कानून लागू नहीं होगा.  केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा, "कानून अभी लागू नहीं हुआ है. ऐसे में ड्राइवर्स की चिंताओं को लेकर सरकार खुले मन से चर्चा के लिए तैयार है."
गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा, "आपराधिक कानून IPC की धारा 106 (2) में दस साल की सजा तथा जुर्माने के प्रावधान के बारे में वाहन चालकों की चिंता का संज्ञान लिया है."


ड्राइवर्स को काम पर लौटने को कहा
उन्होंने यह भी कहा था, "अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस के प्रतिनिधियों से बातचीत की. सरकार बताना चाहती है कि ये कानून अभी लागू नहीं हुए हैं. हम बताना चाहते हैं कि इस धारा को लागू करने से पहले AIMTC से बातचीत करने के बाद ही फैसला लिया जाएगा. हम सभी ड्राइवर्स से अपील करते हैं कि आप अपने कामों पर लौट आएं."


नए कानून में क्या है?
AIMTC के चेयरमैन मलकीत सिंह बल के मुताबिक, नए कानून की धारा 106 (2) में 'हिट-एंड-रन' मामलों में 10 साल तक की कैद और 7 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है. ट्रांसपोर्टर और ट्रक ड्राइवर इस प्रावधान का विरोध कर रहे थे और उनकी मांग थी कि इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को अपनी सहमति दे दी थी.  इसे 26 जनवरी से पहले अधिसूचित किए जाने का अंदेशा था.