नई दिल्लीः निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने मंगलवार को 86 और पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त ऐसे राजनीतिक दलों (non existent unrecognised political parties) को अपनी सूची से हटाने का आदेश दिया, जिनका अब कोई वजूद नहीं है. चुनावी नियमों का पालन करने में नाकाम रहने वाले ऐसे संगठनों की तादाद अब 537 हो गई है. आयोग ने कहा है कि व्यापक जनहित के साथ-साथ चुनावी लोकतंत्र की ‘शुचिता’ के लिए सुधारात्मक उपाय किए जाने की जरूरत है, और इसलिए उसने अतिरिक्त 253 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को गैर सक्रिय घोषित कर दिया है. यह फैसला मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडे ने लिया है.

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प्रदेश के सीईओ से मिली रिपोर्ट के आधार लिया फैसला 
गौरतलब है कि 25 मई और 20 जून को क्रमशः 87 और 111 ऐसे दलों को सूची से हटा दिया गया था. इन 253 दलों के खिलाफ निर्णय बिहार, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के सीईओ से मिली रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है. आयोग ने कहा, ‘‘उन्हें निष्क्रिय के रूप में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि इन्होंने ‘‘उन्हें दिए गए पत्र / नोटिस का जवाब नहीं दिया था, और न तो किसी राज्य की विधानसभा के लिए और न ही 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में हिस्सा लिया था.’’ 
 
आयोग ने आपत्ति दर्ज कराने का दिया वक्त 
आयोग की इस कार्रवाई के बाद, 86 ‘अस्तित्वहीन’ राजनीतिक दलों को आरयूपीपी के रजिस्टर की सूची से हटा दिया जाएगा. इसके मुताबिक, निष्क्रिय के रूप में चिह्नित 253 आरयूपीपी ‘‘चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के किसी भी लाभ का लाभ उठाने के पात्र नहीं होंगे.’’ निर्वाचन आयोग ने कहा कि कोई भी पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल अगर इस फैसले से असंतुष्ट है, तो वह सभी सबूतों, वर्षवार वार्षिक लेखा परीक्षित खातों, खर्चे की रिपोर्ट और पदाधिकारियों की अपडेट सूची के साथ 30 दिनों के अंदर संबंधित सीईओ/निर्वाचन आयोग से संपर्क कर सकता है.
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