भारत की बढ़ती क्षमता का सबूत; इस काम के लिए अमेरिकी नौसेना का जहाज पहुंचा चेन्नई
चेन्नई स्थित लार्सन एंड टुब्रो शिपयार्ड में अमेरिका नौसेना का जहाज मरम्मत और मेंटेनैंस के लिए पहुंचा है, जो ये दिखाता है कि भारतीय कंपनियां इस क्षेत्र में कितना आगे बढ़ रही है कि अमेरिका जैसे उन्नत तकनीकी कौशल वाले देश के नौ सेना के विमान के मेंटेनैंस के लिए उसे भारत आने पर मजबूर कर रही है.
नई दिल्लीः भारत अब तक दुनिया भर के देशों के लिए पुराने जहाजों के लिए कबाड़खाना माना जाता रहा है. गुजरात तट पर ऐसे जहाज लाए जाते हैं, जिनकों ठिकाना लगाना होता है. इससे भारी मात्रा में प्रदूषण भी फैलता है. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है, जब अमेरिकी नौसैनिक जहाज ने मरम्मत और मेंटेनैंस के लिए भारत का रुख किया है. अमेरिकी नौसेना का एक जहाज मरम्मत के लिए इतवार को भारत पहुंचा है. भारतीय कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के चेन्नई स्थित शिपयार्ड में इस जहाज की मरम्मत की जाएगी.
भारतीय कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के चेन्नई स्थित शिपयार्ड में अमेरिकी जहाज को लाया गया है, जहां इसकी मरम्मत की जाएगी. इसे भारत और अमेरिका जैसे दोनों देशों के बीच साझेदारी में एक पायदान और आगे बढ़ने की तरह देखा जा रहा है. रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि यह अमेरिका का पहला नौसैनिक जहाज है, जिसकी सर्विसिंग भारत में होगी. इस काम के लिए अमेरिकी नौसेना ने लार्सन एंड टुब्रो शिपयार्ड के साथ समझौता किया है.
अमेरिका नौसेना का जहाज चार्ल्स ड्रयू 11 दिनों के लिए कट्टुपल्ली शिपयार्ड पर रहेगा जहां इसकी मरम्मत की जाएगी. लार्सन एंड टुब्रो के डिफेंस एंड स्मार्ट टेक्नोलॉजीज के सलाहकार जेडी पाटिल ने कहा है कि अमेरिकी नौसेना के मरीन सीलिफ्ट कमांड ने भारत के चुनिंदा शिपयार्ड्स का आकलन कर लार्सन एंड टुब्रो को ये काम सौंपा है. वहीं, भारत सरकार के रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार ने इसे भारतीय शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री और भारत के लिए उपलब्धि बताया है. उन्होंने बताया कि आज भारत की छह बड़ी शिपयार्ड्स का सालाना टर्नओवर लगभग दो अरब डॉलर है.
अमेरिकी कॉन्सुल जनरल जुडिथ रैविन ने कहा कि अमेरिका, भारत बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने अमेरिकी नौसैनिक जहाजों की मरम्मत के लिए भारतीय शिपयार्ड्स के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी .
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