प्रयागराजः कानून का शिकंजा काफी टाइट होता है, जब कसता है तो कसता ही चला जाता है. कानून तोड़ने वालों को दम लेने की फुरसत नहीं देता है. शायद उत्तर प्रदेश के बाहुबली सांसद मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के साथ भी ऐसा ही हुआ. मुखतार अंसारी को पिछले कुछ दिनों में एक के बाद एक कुल तीन मामलों में सजा सुनाई गई है. बुधवार को वह एक मामले में पेशी के दौरान सार्वजनिक तौर पर देखे गए. अंसारी (Mukhtar Ansari) ने समर्थकों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया. इस मौके पर अंसारी की ढलती उम्र और नरम पड़ते तेवर देखे गए. इससे पहले वह जेल हो या कोर्ट वहां अपने अंदाज में देखे जाते थे, लेकिन लगता है कि अब अंसारी ने सरकार और कानून के आगे खुद को पूरी तरह सरेंडर कर दिया है. अंसारी (Mukhtar Ansari) कई बार प्रदेश की योगी सरकार पर उन्हें साजिश के तहत परेशान करने का इल्जाम और जेल में उनकी हत्या कराए जाने की आशंका भी जाहिर कर चुके हैं. 
  
मुख्तार को कोर्ट ने बांदा जेल वापस भेज दिया 
बाहुबली नेता और पूर्व सांसद मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को बुधवार को रिमांड मजिस्ट्रेट कोर्ट ने बांदा जेल वापस भेज दिया है, क्योंकि उनकी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की रिमांड खत्म हो गई थी. ईडी की रिमांड खत्म होने पर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था, लेकिन कोर्ट ने उन्हें वापस बांदा जेल भेज दिया है.अंसारी बेनामी संपत्ति के एक कथित मामले में ईडी की हिरासत में थे. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मामले में सुनवाई की अगली तारीख 10 जनवरी रखी गई है. 

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हत्या के मामले में हो चुकी है 10 साल कैद की सजा
इससे पहले 15 दिसंबर को अंसारी और उसके सहयोगी भीम सिंह को गाजीपुर की एक गैंगस्टर कोर्ट ने हत्या और हत्या की कोशिश के पांच मामलों में 10 साल कैद की सजा सुनाई थी. इन मामलों में कांस्टेबल रघुवंश सिंह का कत्ल और गाजीपुर के एक अतिरिक्त एसपी पर जानलेवा हमला शामिल है. एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, अंसारी को पिछले तीन महीनों में तीसरी बार सजा मिली है. अंसारी पिछले कुछ सालों से उत्तर प्रदेश के बांदा की एक जेल में बंद हं,ै और ईडी उन्हें 10 दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है.

जेलर को धमकाने में पांच साल की जेल 
गौरतलब है कि इससे पहले जेलर एसके अवस्थी को धमकाने और पिस्टल तानने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 21 सितंबर को मुख्तार अंसारी को कसूरवार करार देते हुए सजा सुनाई थी. मामला 2003 का था, जब लखनऊ जिला जेल के जेलर एसके अवस्थी ने यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उन्हें जेल में अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने पर धमकी दी गई थी. साल 1999 में गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 23 सितंबर को उन्हें पांच साल की सजा सुनाई थी. 23 साल पुराने इस मामले में कोर्ट ने मुख्तार पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था.


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