Faisal Ajami Shayari: `कभी देखा ही नहीं उस ने परेशां मुझ को`; फैसल अजमी के शेर
Faisal Ajami Shayari: फैसल अजमी उर्दू के मशहूर शायर हैं. उन्होंने कई गजलें लिखी हैं, जो अब तक मशहूर हुई हैं. उनकी पत्रिका `आसार` बहुत मशहूर है.
Faisal Ajami Shayari: फैसल अजमी उर्दू के बेहतरीन शायर हैं. उनका ताल्लुक पाकिस्तान से है. उनकी शायरी के मजमूओं में 'शाम', 'मरासिम' और 'ख्वाब' शामिल हैं. उन्होंने पाकिस्तान के इस्लामाबाद से साहित्यिक पत्रिका 'आसार' शुरू की. यह पत्रिका काफी वक्त तक बहुत मशहूर रही. उनकी गजलें 'गिर जाए जो दीवार तो मातम नहीं करते' और 'इन लोगों में रहने से हम बेघर अच्छे थे.' बहुत अच्छी हैं.
टूटता है तो टूट जाने दो
आइने से निकल रहा हूँ मैं
दुख नहीं है कि जल रहा हूँ मैं
रौशनी में बदल रहा हूँ मैं
उस को जाने दे अगर जाता है
ज़हर कम हो तो उतर जाता है
चंद ख़ुशियों को बहम करने में
आदमी कितना बिखर जाता है
आवाज़ दे रहा था कोई मुझ को ख़्वाब में
लेकिन ख़बर नहीं कि बुलाया कहाँ गया
रात सितारों वाली थी और धूप भरा था दिन
जब तक आँखें देख रही थीं मंज़र अच्छे थे
यह भी पढ़ें: Ameer Imam shayari: 'सोच लो ये दिल-लगी भारी न पड़ जाए कहीं'; अमीर इमाम के शेर
कभी देखा ही नहीं उस ने परेशाँ मुझ को
मैं कि रहता हूँ सदा अपनी निगहबानी में
अब वो तितली है न वो उम्र तआ'क़ुब वाली
मैं न कहता था बहुत दूर न जाना मिरे दोस्त
आज फिर आईना देखा है कई साल के बाद
कहीं इस बार भी उजलत तो नहीं की गई है
मैं ज़ख़्म खा के गिरा था कि थाम उस ने लिया
मुआफ़ कर के मुझे इंतिक़ाम उस ने लिया
मैं सो गया तो कोई नींद से उठा मुझ में
फिर अपने हाथ में सब इंतिज़ाम उस ने लिया
कभी भुलाया कभी याद कर लिया उस को
ये काम है तो बहुत मुझ से काम उस ने लिया