Ameer Imam Shayari: अमीर इमाम को उनकी किताब "नक्श-ए-पा हवाओं के" के लिए साहित्य अकादेमी के युवा पुरस्कार से नवाजा गया है. यहां पेश हैं उनकी कुछ मशहूर शायरी.
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Ameer Imam Shayari: अमीर इमाम उर्दू के मशहूर शायर हैं. वह 30 जून साल 1984 को उत्तर प्रदेश के संभल में पैदा हुए. उनकी शायरी में नयापन है. वह अपनी पीढ़ी के शायरों में सबसे आगे रहने वालों में से हैं. उन्होंने अपनी शायरी से जिंदगी के नए पहलुओं को छुआ है. अब तक उनकी दो किताबें छप चुकी हैं. एक "नक्श-ए-पा हवाओं" और "सुबह बखैर जिंदगी". उनकी किताबों की काफी तारीफ की गई है.
अभी तो और भी चेहरे तुम्हें पुकारेंगे
अभी वो और भी चेहरों में मुंतक़िल होगा
धूप में कौन किसे याद किया करता है
पर तिरे शहर में बरसात तो होती होगी
अपनी तरफ़ तो मैं भी नहीं हूँ अभी तलक
और उस तरफ़ तमाम ज़माना उसी का है
वो मारका कि आज भी सर हो नहीं सका
मैं थक के मुस्कुरा दिया जब रो नहीं सका
इक अश्क क़हक़हों से गुज़रता चला गया
इक चीख़ ख़ामुशी में उतरती चली गई
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ख़ामोशी के नाख़ुन से छिल जाया करते हैं
कोई फिर इन ज़ख़्मों पर आवाज़ें मलता है
जो शाम होती है हर रोज़ हार जाता हूँ
मैं अपने जिस्म की परछाइयों से लड़ते हुए
सोच लो ये दिल-लगी भारी न पड़ जाए कहीं
जान जिस को कह रहे हो जान होती जाएगी
तिरे बदन की ख़लाओं में आँख खुलती है
हवा के जिस्म से जब जब लिपट के सोता हूँ
जब साथ थे तो मिल के भी मिलना न हो सका
जब से बिछड़ गए हो तो पैहम मिले हमें
कर ही क्या सकती है दुनिया और तुझ को देख कर
देखती जाएगी और हैरान होती जाएगी
पहले सहरा से मुझे लाया समुंदर की तरफ़
नाव पर काग़ज़ की फिर मुझ को सवार उस ने किया
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