ताहिर कामरान: देश के पहले सेनाध्यक्ष यानी केएम करिअप्पा की कहानी बेहद दिलचस्प है. हिंदुस्तानी फौज ताकतवर बनाने में अहम किरदार अदा करने वाले करिअप्पा की जगह पर पंडित नेहरू किसी अंग्रेज को सेना की कमान सौंपना चाहते थे. फिर केएम करिअप्पा को किस तरह ये फौज की कमान मिली. इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है. करिअप्पा के जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनकी दिलचस्प कहानी बताने जा रहे हैं. 


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केएम करिअप्पा का पूरा नाम कोडनान मडप्पा करियप्पा था. केएम करिअप्पा उन दो हस्तियों में से एक हैं जिन्हें फाइव स्टार रैंक मिली है. करिअप्पा के अलावा दूसरा नाम जनरल मॉनेकशॉ का है. केएम करिअप्पा की जिंदगी यूं तो कई दिलचस्प बहादुरी भरे किस्सों से भरी पड़ी है. फिलहाल हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि किस तरह करिअप्पा को सेनाध्यक्ष बनाया गया और किस तरह देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (PT Nehru) के सामने केएम करिअप्पा का नाम पेश किया गया था. दरअसल मुल्क की आजादी के बाद जब पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक मीटिंग ली तो इस मीटिंग लगभग सभी बड़ी हस्तियां मौजूद थीं. 


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"हमारे पास तजुर्बा नहीं, क्यों ना किसी अंग्रेज को भारतीय आर्मी चीफ बना दें"


इस मीटिंग में जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि मैं समझता हूं कि हमें किसी अंग्रेज को भारतीय फौज का चीफ बनाना चाहिए, क्योंकि हमारे पास फौज को लीड करने का तजुर्बा नहीं है. इस मीटिंग में मौजूद लगभग सभी लोगों ने जवाहर लाल नेहरू की इस बात से इत्तेफाक जाहिर किया लेकिन मीटिंग में मौजूद लेफ्टिनेंट जनरल नाथू सिंह राठौर ने अचानक आवाज़ उठाई और कहा कि मैं कुछ कहना चाहता हूं. 


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"....क्यों ना हम किसी ब्रिटिश को भारत का PM बना दें"
पंडित नेहरू ने लेफ्टिनेंट जनरल नाथू सिंह राठौर को बोलने की इजाज़त दी. जिसके बाद नाथू सिंह राठौर ने ऐसी बात कह दी कि मीटिंग में मौजूद लगभग हर शख्स हैरान रह गया. नाथू सिंह राठौर ने कहा था कि हमारे पास तो मुल्क को भी लीड करने का तजुर्बा नहीं है, तो क्यों न हम किसी ब्रिटिश को ही भारत का प्रधानमंत्री बना दें. इतना सुनने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि क्या आप भारतीय फौज के पहले जनरल बनने को तैयार हैं? पंडित नेहरू के इस सवाल पर नाथू सिंह राठौर ने जवाब दिया- 'नहीं, लेकिन, सर हमारे बीच में एक ऐसा शख्स है, जिसको ये जिम्मेदारी दी जा सकती है. उनका नाम है लेफ्टिनेंट जनरल करिअप्पा.


"पंडित नेहरू को करिअप्पा से था तख्तापलट का डर"
जनरल करिअप्पा को लेकर एक बात यह भी कही भी जाती है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू डरते थे. यह बात जनरल करिअप्पा के बेटी केसी करिअप्पा ने अपनी किताब लिखी है. केसी करिअप्पा भारतीय वायुसेना (Indian Navy) में फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे. उन्होंने अपनी किताब में लिखा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू को इस बात का डर था कि मेरे पिता उनका तख्तापलट कर सकते हैं, इसीलिए नेहरू ने 1953 में मेरे पिता को ऑस्ट्रेलिया का हाई कमिश्नर बनाकर भेज दिया.


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