2014 के बिजनौर विस्फोट मामले में सिमी के पांच सदस्यों को मिली सजा
गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून समेत दीगर कानूनों के तहत सभी मुजरिमों को तीन साल से लेकर सात साल 10 महीने की सज़ा सुनाई है.
नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के लखनऊ में वाके राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) की स्पेशल कोर्ट ने राज्य के बिजनौर में 2014 में हुए विस्फोट के मामले में प्रतिबंधित संगठन सिमी के पांच सदस्यों को कसूरवार ठहराया है. कोर्ट ने उन्हें तीन से लेकर सात साल तक के कठोर कारावास की सज़ा सुनाई है. अफसरों ने शुक्रवार को बताया कि विशेष अदालत ने गुरुवार को दिए अपने फैसले में हुसना, अब्दुल्ला, रईस अहमद, नदीम और फुरकान को गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) समेत दीगर कानूनों के तहत तीन साल से लेकर सात साल 10 महीने की सज़ा सुनाई है.
12 सितंबर 2014 को बिजनौर में हुआ था विस्फोट
इन दोषियों के खिलाफ कड़े यूएपीए कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था. सभी पांचों कसूरवारों ने गुरुवार को अपना जुर्म कबूल कर लिया था जिसके बाद अदालत ने उन्हें सज़ा सुनाई है. एनआईए के प्रवक्ता ने कहा कि 12 सितंबर 2014 को बिजनौर के जतन मोहल्ला में लीलो देवी के घर में हुए विस्फोट के मामले में प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्यों ने आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए आपराधिक साज़िश रची थी.
2015 में एनआईए ने अपने हाथ में ले लिया था केस
पहले मामले की छानबीन बिजनौर पुलिस ने की थी जिसने कई मुकदमे दर्ज किए थे. बाद में इस मामले की जांच को 2015 में एनआईए ने अपने हाथ में ले लिया था. अधिकारी ने कहा कि इस मामले की छानबीन के बाद, तीन फरवरी 2018 को पांच आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया गया. उन्होंने एनआईए की विशेष अदालत में कल गुनाह कबूल कर लिया और उन्हें कसूरवार ठहराया गया.
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