Former Chief Justice AM Ahmadi Death: भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश ए.एम. अहमदी हमारे दरमियान नहीं रहे. गुरुवार को उन्होंने 91 साल की उम्र में अपने घर पर आख़िरी सांस ली. पूर्वल सीजेआई अहमदी 1994 से 1997 तक देश के चीफ़ जस्टिस के ओहदे पर रहे. अहमदाबाद में एक सिटी सिविल और सेशन कोर्ट के जस्टिस के तौर में उन्होंने अपने न्यायिक करियर की शुरुआत की. ए.एम. अहमदी देश के एकलौते चीफ़ जस्टिस थे, जिन्होंने भारतीय न्यायपालिका के सबसे ऊंचे ओहदे तक पहुंचने के लिए बहुत निम्न रैंक से शुरुआत की थी. पूर्व चीफ़ जस्टिस अज़ीज़ मुबश्शिर अहमदी न सिर्फ़ भारत में, बल्कि दुनिया भर में एक सम्मानित न्यायविद थे. उन्हें विशेष परियोजनाओं का नेतृत्व करने के लिए यूएनओ और विश्व बैंक समेत अलग-अलग अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा आमंत्रित किया जा चुका है.


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कई अवार्ड्स से नवाज़ा गया
पूर्व चीफ़ जस्टिस अज़ीज़ मुबश्शिर अहमदी अत्यधिक प्रतिष्ठित क़ानूनी इदारों जैसे अमेरिकन इन लॉज और मिडिल टेम्पल इन ऑफ़ ऑनरेबल सोसाइटी ऑफ मिडिल टेंपल, लंदन से सम्मान प्राप्त करने वाले व्यक्ति थे. छह सबसे मशहूर इंडियन यूनिवर्सिटीज़ से डॉक्टर ऑफ लॉ (ऑनोरिस कॉसा) की डिग्री हासिल करने के अलावा, उन्होंने कई पथप्रदर्शक निर्णय भी दिए. उनकी ख़ासियत संवैधानिक क़ानून से लेकर मानवाधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आपराधिक, कराधान, केंद्र-राज्य और अंतरराज्यीय संबंधों तक फैली हुई थी. वे एएमयू के कुलाधिपति भी रह चुके हैं.



अहम फ़ैसलों पर लगाई मुहर
उसूलों पर राह पर चलने वाले एएम अहमदी विवादास्पद फ़ैसलों से भी नहीं बचते थे. उन्होंने न्यायाधीशों के मामले में असहमति ज़ाहिर की. बोम्मई के मामले में एक अलग फैसला लिखा. जनरल वैद्य के क़ातिलों के ख़िलाफ़ आधी रात का फैसला सुनाया और अयोध्या अधिनियम में कुछ क्षेत्र के अधिग्रहण से संबंधित एक फैसले को असंवैधानिक बताया. भारत के सबसे लंबे वक़्त तक सेवारत चीफ़ जस्टिस में उनका शुमार होने के अलावा, उन्होंने अलग-अलग कमीशनों की अगुवाई करने की ज़िम्मेदारी भी निभाई और अपनी आख़िरी सांस तक मध्यस्थता के क्षेत्र में एक्टिव रहते हुए अपना योगदान दिया.


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