Gauri Lankesh Murder: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 2017 में कार्यकर्ता-पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में एक आरोपी मोहन नायक को जमानत दे दी है. नायक इस मामले में जमानत पाने वाले पहले आरोपी हैं. न्यायमूर्ति एस विश्वजीत शेट्टी की सिंगल जज वाली बेंच ने नायक की जमानत का फैसला सुनाया. नायक को समान राशि की दो जमानतदारों के साथ 1 लाख रुपये का निजी बांड भरने और सुनवाई की सभी तारीखों पर ट्रायल कोर्ट के सामने मौजूद होने के लिए कहा गया है, जब तक कि अदालत वैध कारणों से उनकी मौजूदगी में छूट नहीं देती.


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हाई कोर्ट ने कहा कि 18 जुलाई, 2018 से हिरासत में आरोपी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अभियोजन पक्ष के गवाहों को धमकी नहीं देगा या उनके साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा. आरोपी का बयान दर्ज किया गया. आरोपी पांच साल तक पुलिस हिरासत में रहा. उन्होंने इस आधार पर जमानत के लिए आवेदन किया था कि मुकदमे में देरी हो रही है. उच्च न्यायालय ने कहा कि मामले में 527 आरोपपत्र गवाहों में से केवल 90 से पूछताछ की गई थी.


अदालत ने अपने आदेश में कहा कि "इस अदालत ने 11 फरवरी, 2019 को ट्रायल कोर्ट को मुकदमे में तेजी लाने का निर्देश दिया था. हालांकि वर्तमान मामले में 30 अक्टूबर, 2021 को आरोप तय किए गए थे, केवल 90 गवाहों से पूछताछ की गई है. 400 से अधिक गवाह हैं जिनसे अभी पूछताछ की जानी है."


अदालत ने आगे कहा कि "भले ही यह मान लिया जाए कि आरोपपत्र में उल्लिखित सभी गवाहों से मामले में पूछताछ नहीं की जा सकती है, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि पिछले दो सालों से ज्यादा वक्त से केवल 90 गवाहों से पूछताछ की गई है, यह माना जा सकता है कि जल्द ही किसी भी समय, मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो सकती है."


आदेश में कहा गया, "ट्रायल कोर्ट द्वारा रखी गई ऑर्डर शीट के अवलोकन से यह देखा गया है कि मुकदमे में देरी के लिए आरोपी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है." 


ख्याल रहे कि वामपंथी विचारधारा वाली पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर, 2017 को बेंगलुरु के राजराजेश्वरी नगर इलाके में उनके घर के बाहर तीन मोटरसाइकिल सवार लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. वह दक्षिणपंथी हिंदुत्व राजनीति की मुखर आलोचक थीं.


 


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