बम्बई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने एक पार्टी में 'छोटे कपड़े पहने' औरतों को नाचते हुए देखने को लेकर पांच लोगों के खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले को रद्द करते हुए कहा कि वह इसको लेकर तरक्की पसंद सोच अपनाना चाहती है कि अश्लीलता के दायरे में क्या आता है. जज विनय जोशी और जज वाल्मीकि एस ए मेनेजेस की खंडपीठ ने नागपुर जिले में उमरेड पुलिस की तरफ से दर्ज की गई FIR बुधवार को रद्द करते हुए कहा कि अदालत नैतिकता के मानदंडों के साथ ही इसको लेकर सचेत है कि मौजूदा वक्त में किस तरह के पहनावे को सामान्य माना जाता है. 


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छोटे कपड़े पहन कर नाच रही थीं औरतें


FIR के मुताबिक, 31 मई, 2023 को पुलिस ने उमरेड इलाके में एक जगह पर छापा मारा और पाया कि कुछ लोग छोटे कपड़े पहने औरतों को अश्लील डांस करते हुए देख रहे थे और उन पर जाली नोटों बरसा रहे थे. FIR में औरतों समेत 18 लोगों के नाम शामिल हैं. इसके बाद मुल्जिमों ने मामले को रद्द करने की गुजारिश करते हुए अदालत का रुख किया. 


अश्लीलता फैसला नहीं कर सकती पुलिस


हाई कोर्ट ने आदेश में कहा, ‘‘कौन से काम अश्लीलता के दायरे में आ सकते हैं, इस बारे में एक छोटी सोच रखना, हमारी ओर से एक प्रतिगामी काम होगा. हम मामले में तरक्की पसंद सोच अपनाना पसंद करेंगे और इस तरह का फैसला पुलिस अफसरों के हाथों में छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं.’’ अदालत ने कहा कि मुल्जिम औरतों की हरकतें, जो कथित तौर पर छोटी स्कर्ट पहने हुए थीं और भड़काऊ डांस कर रही थीं या 'अश्लील' इशारे कर रही थीं, को "अपने आप में अश्लील हरकतें" नहीं कहा जा सकता, जो अवाम के किसी भी मेंबर को परेशान कर सकती हैं.


ऐसे मामले आम हैं


अदालत ने कहा, ‘‘ऐसा मानते हुए, हम मौजूदा भारतीय समाज में चल रहे नैतिकता के सामान्य मानदंडों के प्रति सचेत हैं और इस तथ्य पर न्यायिक संज्ञान लेते हैं कि मौजूदा वक्त में यह काफी आम है कि औरतें ऐसे कपड़े पहन सकती हैं, या तैराकी के वक्त धारण किए जाने वाले परिधान या ऐसी दूसरी पोशाक पहन सकती हैं.’’ अदालत ने कहा कि ऐसा पहनावा अक्सर फिल्मों या खूबसूरती के मुकाबले में देखा जाता है. हाई कोर्ट ने कहा, ‘‘यकीनन ऐसी हालत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 294 (अश्लील कृत्य) के प्रावधान लागू नहीं होंगे.’’