Gopichand Narang Death: उर्दू मशहूर साहित्यकार गोपीचंद नारंग का अमेरिका में इंतेकाल हो गया है. नांरग की तकरीबन 57 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं. इनमें से अधिकतर उर्दू में हैं. उन्होंने कुछ किताबें हिंदी और अंग्रेजी में भी लिखी हैं. वह उर्दू के अलावा छह अन्य भारतीय भाषाएं भी जानते थे.लेखक के अलावा नारंग बहुत अच्छे वक्ता भी थे.


बलूचिस्तान में जनमें थे नारंग


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नारंग का जन्म ब्रिटिश इंडिया में बलूचिस्तान के एक छोटे से गांव दुक्की में हुआ था. जो अब पाकिस्तान में है. उनके वालिद का नाम धर्म चंद नारंग था जो एक साहित्यकार थे. आपको बता दें कि गोपीचंद नारंग के पास उर्दू की मास्टर डिग्री थी. उन्होंने 1958 में मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन से PHD की थी.



नारंग ने उर्दू की पढ़ाई दिल्ली के St. Stephen's College कॉलेज  से की थी. जिसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. 1963 और 1968 में University of Wisconsin में आप एक विजिटिंग ऑफिसर का काम किया. 1974 में नारंग ने बतौर प्रोफेसर जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी को ज्वाइन किया. प्रोफ़ेसर गोपीचंद ऐसे शख़्स थे जिन्होंने हिंदू होते हुए जामिया मिलिया इस्लमिया यूनिवर्सिटी के उर्दू विभाग में बतौर प्रोफेसर काम किया.


हाल में गोपीचंद ने शायर मीर तकी मीर, गालिब और उर्दू गजल पर अपना काम पब्लिश करा चुके हैं. 


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पद्म भूषण से नवाजे जा चुके हैं


81 साल की उम्र में गोपीचंद नारंग को भारत सरकार की तरफ़ से साल 2004 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. गोपीचंद नारंग को साल 1995 में उर्दू भाषा का प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया. गोपीचंद नारंग साहित्य अकादमी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. गोपीचंद को पाकिस्तान का सितार-ए-इम्तियाज सम्मान से भी नवाजा गया.


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