Uttarakhand News: उत्तराखंड से कुछ दिन पहले मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों के पढ़ने की खबर सामने आई थी. इसके बाद यह मामला प्रदेश समेत पूरे मुल्क मे तूल पकड़ लिया. वहीं, अब इस मामले को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ( National Commission for Protection of Child Rights ) ने भी गंभीर करार दिया है. उन्होंने कहा कि यह राज्य की मूल अवधारणा के उलट है.


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दरअसल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने यह मामला आने के बाद उत्तराखंड के कई मदरसों का निरीक्षण किया. इस दौरान आोयग चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने कई मामलों पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य के मदरसों में उत्तर प्रदेश और बिहार से शिक्षकों को लाकर पढ़ाया जा रहा है, जो सही नही हैं. 


आयोग ने दिए ये निर्देश
वहीं, आयोग ने बिना मान्यता के चल रहे मदरसे को भी बंद करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में करीब 400 मदरसों को जांच के बाद बंद किया जाएगा. इसके अलावा मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों के पढ़ाने को लेकर सख्त नजर आया और ऐसे स्टूडेंट्स को स्कूल में एडमिशन करने की हिदायत दी है. निर्देश पर अम्ल न होने पर जिला अफसरों को दिल्ली तलब करने की भी बात कही है.


कानून क्या कहता है?
कमीशन के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो का कहना है कि मदरसों में जो गैर मुस्लिम बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, उसके लिए अल्पसंख्यक और एजुकेशन डिपार्टमेंट बराबर के हिस्सेदार हैं. संविधान के मुताबिक बच्चों के माता-पिता की लिखित इजाजत के बिना किसी दूसरे मजहब की शिक्षा नहीं दी जा सकती है.


शिक्षा महानिदेशक ने कहा
वहीं, शिक्षा महानिदेशक ( Director General of Education ) बंशीधर तिवारी का कहना है कि जब यह मामला सामने में आया था, तो इसकी जांच की गई. लेकिन आज के वक्त पर जो बच्चे गैर-मुस्लिम मदरसों में पढ़ रहे थे, उनकी तादाद में गिरावट आई है. पहले 719 बच्चे प्रदेश में ऐसे मदरसों में पढ़ रहे थे जो गैर-मुस्लिम थे तो वहीं अब यह आंकड़ा घटकर 116 तक आ गया है.


कुल मिलाकर देखें तो उत्तराखंड के मदरसों में जिस तरीके से गैर मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं,इसका संज्ञान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने ले लिया है,तो देखना यही होगा कि क्या जो निर्देश आयोग की तरफ से मिले है उसके बाद मदरसों में गैरमुस्लिम बच्चे पढ़ रहे है उनके एडमिशन स्कूलों में हो पाएंगे।