ऑनलाइन किसी प्रोडक्ट का फर्जी रिव्यू किया तो खैर नहीं; 10 से 50 लाख तक हो सकता है जुर्माना
Guidelines to curb fake online reviews: डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर ने एक दिशानिर्देश तैयार किया है, जिसे सोमवार को जारी किया जाएगा. इसे सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को पालन करना होगा.
नई दिल्लीः ग्राहकों को प्रोडक्ट्स की फर्जी ऑनलाइन रिव्यूज (fake online reviews) से बचाने के लिए सरकार सोमवार को दिशानिर्देश जारी करने जा रही है. इसके तहत ई-कॉमर्स कंपनियां अगर ग्राहकों को अपना सामान बेचने के लिए अपने किसी प्रोडक्ट्स की फर्जी रिव्यूज (fake online reviews) पोस्ट करने की दोषी पाई जाती हैं, तो उनपर 10 लाख रुपए से लेकर 50 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. शुरुआत में, ये दिशानिर्देश स्वेच्छिक होंगे. लेकिन अगर कंपनियां इनका पालन नहीं करती हैं तो इसे अनिवार्य कर दिए जाएंगे और फिर इसके उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान होगा.
इन संगठनों की पहल पर लिया गया फैसला
सूत्रों के मुताबिक, डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर सोमवार को दिशानिर्देश जारी करेगा, जो ई-कॉमर्स कंपनियों को फर्जी प्रोडक्ट रिव्यू पोस्ट करने से रोकेगा. भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने इस साल जून में गठित एक समिति की रिपोर्ट की बुनियाद पर ये दिशानिर्देश तैयार किए हैं. समिति में विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई), भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और उपभोक्ता मामलों के विभाग जैसी पार्टियां शामिल हैं.
प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के बीच चलता है फर्जी रिव्यूज वॉर
सूत्रों के मुताबिक, कई ई-कॉमर्स कंपनियां अपने ग्राहकों के बीच अपनी पैठ बनाने और अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों द्वारा बेचे गए प्रोडक्ट्स की बिक्री को प्रभावित करने के लिए नकली रिव्यूज भी करवाती हैं. ऐसी नकली रिव्यूज ग्राहकों की पसंद को प्रभावित करते हैं और उससे किसी एक कंपनी का फायदा तो दूसरे का नुकसान होता है. डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर को इस संबंध में शिकायतें मिल रही थीं, जिसकी वजह से कंपनियों को नकली प्रोडक्ट रिव्यू पोस्ट करने से रोकने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं.
उत्पाद का फर्जी समीक्षा लिखना हो जाएगा मुश्किल
सूत्रों की माने तो प्रस्तावित दिशा-निर्देशों के मुताबिक, नकली रिव्यूज लिखने वाले समीक्षकों को केवाईसी के जरिए क्रॉस-वेरिफिकेशन के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बिल, डॉक्यूमेंट्स, पिक्चर्स और यहां तक कि वीडियो जैसे अपने पहचान विवरण जमा करने के लिए कहा जा सकता है. इसके अलावा, ई-कॉमर्स कंपनियों से अनवेरिफाइड बायर्स और समीक्षकों को हटाने के लिए भी कहा जा सकता है. ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ जुर्माना और कार्रवाई की जाएगी. इन गाइडलाइंस का असर ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे स्विगी, जोमैटो और अमेजन वगैरह पर पड़ सकता है.
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