नयी दिल्ली: एक बार इस्तेमाल की जाने वाली प्लास्टिक (एसयूपी) की तय वस्तुओं पर शुक्रवार से प्रतिबंध की शुरुआत लगेगी. इसके साथ ही राज्य सरकारें एक प्रवर्तन अभियान शुरू कर इस तरह की वस्तुओं के निर्माण, वितरण, भंडारण और बिक्री से जुड़ी इकाइयों को बंद कराने की पहल करेंगी. 


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पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि "प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. इसमें पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (ईपीए) की धारा-15 और संबंधित नगर निगमों के उपनियमों के तहत, ज़ुर्माना, जेल की अवधि या दोनों शामिल हैं." 


मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि "प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं. प्रतिबंधित एसयूपी वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग की जांच के लिए विशेष प्रवर्तन दल गठित किए गए हैं" 


राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को किसी भी प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तु की अंतरराज्यीय आवाजाही को रोकने के लिए सीमा चौकियां बनाने का हुकम दिया गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक "प्लास्टिक के उपयोग को रोकने में मदद करने के एक शिकायत निवारण एप भी शुरू किया है."


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राष्ट्रीय राजधानी में राजस्व विभाग और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने प्रतिबंध को लागू करने के लिए 33 और 15 दलों का गठन किया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में हर दिन 1,060 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है. राजधानी में कुल ठोस कचरे का 5.6 प्रतिशत (या 56 किलो प्रति मीट्रिक टन) एकल उपयोग प्लास्टिक होने का अनुमान है. दिल्ली पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि "प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के तहत चिन्हित एसयूपी वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण बिक्री और उपयोग और अन्य निषिद्ध गतिविधियों में संलग्न इकाइयों को तुरंत बंद कर दिया जाएगा." 


अधिकारी ने कहा कि " दिल्ली नगर निगम और अन्य शहरी स्थानीय निकाय धोखाधड़ी करने वाली इकाइयों के खिलाफ उनके उपनियमों के अनुसार कार्रवाई करेंगे. राजस्व विभाग पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई करेगा."
भाषा


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