Guest and Islam: इस्लाम में मेहमानों के हक के बारे में बताया गया है. इस्लाम में बताया गया है कि मेजबान मेहमानों की खातिरदारी अल्लाह की रजा के लिए करे, जबकि मेहमान के लिए यह कहा गया है कि वह कहीं भी तीन दिन से ज्यादा मेहमानी न करे, जिसकी वजह से वह तंगी और परेशानी में पड़ जाए.


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मेजबानों पर हदीस


हदीस में जिक्र है कि "हजरत खुवैलिद इबने अम्र (र.) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (स.) ने फरमाया: जो लोग अल्लाह और आखिरत के दिन पर ईमान रखते हों वे अपने मेहमान की खातिर करें. पहला दिन इनाम और बख्खिश का है, और मेहमाननवाजी 3 दिन की है. तीन दिन के बाद मेजबान जो कुछ करेगा उस पर सवाब मिलेगा. मेहमान के लिए जायज नहीं कि वह अपने मेजबान के यहां तीन दिन से ज्यादा ठहरे, जिसकी वजह से वह तंगी और परेशानी में पड़ जाए." (हदीस: बुखारी, मुस्लिम)


तफसील


इस हदीस से साफ है कि मेहमान और मेजबान के दोनों के लिए हिदायत दी गई है. मेजबान को चाहिए कि वह अपने मेहमानों की दिल खोलकर खातिरदारी करे, इसके बरक्स मेहमान 3 दिन से ज्यादा ठहरकर मेजबान पर बोझ न बने. यहां एक बात और है कि अगर मेजबान अपने मेहमान को रुकने के लिए कहे और खातिरदारी करे तो वह अलग बात है. 


मेहमानों के लिए हदीस


एक दूसरी हदीस में के मुताबिक "प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने फरमाया: किसी मुसलमान के लिए यह मुनासिब नहीं कि वह अपने भाई के पास इतने दिन ठहरा रह जाए कि उसे परेशानी में डाल दे. लोगों ने पूछा: ऐ अल्लाह के रसूल! वह कैसे उसे परेशानी में डाल देगा? आप (स.) ने फरमाया: वह इस तरह कि मेजबान के पास ठहरा रहे और उसके पास खातिरदारी के लिए कुछ न हो." (हदीस: सहीह मुस्लिम)


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