जिग्नेश मेवाणी को राहत, 2016 के इस मामले में कोर्ट ने किया बरी
जिग्नेश मेवाणी को पुलिस ने साल 2016 में इसलिए हिरासत में लिया था कि वह उन्होंने गैर कानूनी तौर से सभा आयोजित की थी और पुलिस की गाड़ी में तोड़फोड़ की थी.
गुजरात की एक अदालत ने मंगलवार को कांग्रेस विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी के साथ छह अन्य को 2016 में गैरकानूनी सभा और दंगा करने के मामले में बरी कर दिया है. अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पीएन गोस्वामी की अदालत ने मेवाणी, मनाभाई पटेलिया, रमेश बारिया, मुकेश पटेल, दशरथ पागी, मीश नरसिह और दर्शन पथड़िया को बरी कर दिया. इन लोगों पर गैरकानूनी सभा, दंगा करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के इल्जाम में मामला दर्ज किया गया था.
चौराहे पर किया प्रदर्शन
इल्जाम है कि इन लोगों ने सितंबर 2016 में अहमदाबाद नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के समर्थन में शहर के आयकर चौराहे पर एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था. इसके बाद उन सभी लोगों को हिरासत में लिया गया था. इन पर इल्जाम लगा था कि इन्होंने स्टेडियम में जाते वक्त पुलिस वाहन को नुकसान पहुंचाया था. इस दौरान इन लोगों ने नारे भी लगाए थे.
इन धाराओं के तहत दर्ज
मेवानी और अन्य के खिलाफ नवरंगपुरा पुलिस स्टेशन में धारा 143 (गैरकानूनी सभा), 146 (दंगा), 147, 294 (सार्वजनिक स्थान पर अश्लील कृत्य), 332 (जानबूझकर किसी को चोट पहुंचाने) के तहत पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई थी. भारतीय दंड संहिता की धारा 341 (गलत पुनर्कथन), और सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाने के मामले में केस दर्ज किए गए थे.
पुलिस की पिटाई की
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, इन लोगों ने बिना पूर्व इजाजत के विरोध प्रदर्शन आयोजित किया. इसके बाद पुलिस ने इन्हें आयकर चौराहे से हिरासत लिया. स्टेडियम ले जाते हुए इन लोगों ने पुलिस वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया था और एक पुलिस चालक की पिटाई की थी. मेवाणी ने दिसंबर 2022 का विधानसभा चुनाव वडगाम सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीता. वह पार्टी की गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष हैं.
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