Gulzar Shayari: गुलजार उर्दू के बेहतरीन शायर हैं. वह शायर होने के साथ-साथ अफ़साना निगार, गीतकार, फ़िल्म स्क्रिप्ट राईटर, ड्रामा नवीस, प्रोड्यूसर और निर्देशक हैं. उन्होंने इन सभी क्षेत्रों में बेहतरीन काम किया है. गुलजार को उनके कामों के लिए दादा साहिब फाल्के अवार्ड, ग्रैमी अवार्ड, 21 बार फ़िल्म फेयर अवार्ड, साहित्य अकादेमी पुरस्कार और पद्म भूषण से भी नवाजा जा चुका है. गुलज़ार का असल नाम नाम सम्पूर्ण सिंह कालड़ा है. वह 18 अगस्त 1934 झेलम के गांव देना में पैदा हुए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उसी का ईमाँ बदल गया है 
कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था


अपने साए से चौंक जाते हैं 
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा 


ज़िंदगी पर भी कोई ज़ोर नहीं 
दिल ने हर चीज़ पराई दी है 


आदतन तुम ने कर दिए वादे 
आदतन हम ने ए'तिबार किया 


कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है 
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है 


आप के बा'द हर घड़ी हम ने 
आप के साथ ही गुज़ारी है 


जब भी ये दिल उदास होता है 
जाने कौन आस-पास होता है 


फिर वहीं लौट के जाना होगा 
यार ने कैसी रिहाई दी है 


सहमा सहमा डरा सा रहता है 
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है 


दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई 
जैसे एहसाँ उतारता है कोई 


कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था 
आज की दास्ताँ हमारी है 


ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा 
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा 


अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार 
पीले पत्ते तलाश करती है 


आप ने औरों से कहा सब कुछ 
हम से भी कुछ कभी कहीं कहते 


ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में 
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में