Gyanvapi Hearing: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को एक जिला अदालत के आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई शुरू की है. जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को यह निर्धारित करने के लिए सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था कि क्या वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद एक मंदिर पर बनाई गई थी ?


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मुस्लिम कमेटी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नकवी ने कहा, ''यह ठीक नहीं है. कोई किसी अन्य को अदालत की ओर से सबूत इकट्ठा करने के लिए नहीं कह सकता है. हिंदू पक्ष ASI द्वारा जुटाए गए सबूतों के आधार पर सबूत पेश करेगा."


नकवी ने हिंदू उपासकों की अर्जियां पढ़ते हुए विरोधाभासी बयान होने का दावा किया है. मुस्लिम पक्ष के वकील नकवी ने कहा, "पेश किए गए आवेदन में हिंदू पक्ष ने दावा किया कि उनके पास सबूत उपलब्ध हैं. जबकि पैराग्राफ में आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा कि साक्ष्य एएसआई द्वारा एकत्र किए जाने की आवश्यकता है. हिंदू पक्ष का रुख बिल्कुल स्पष्ट नहीं है.'' 


इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूछा कि क्या खुदाई जरूरी है. हिंदू पक्ष के वकील विशु शंकर जैन ने कहा, "खुदाई जरूरी है लेकिन हम इसे मस्जिद के अंदर नहीं करेंगे. यह केवल बंजर भूमि पर और आवश्यकता पड़ने पर अंतिम चरण में ही किया जाएगा."


हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन से पूछा, "आवेदन में ASI का बार-बार जिक्र होने पर एएसआई को पार्टी क्यों नहीं बनाया गया है." हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने तब तर्क दिया कि "ASI एक वैधानिक निकाय है और इसे मामले में एक पक्ष बनाना आवश्यक नहीं है."


जैन ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने ASI को एक विशेषज्ञ निकाय के रूप में मान्यता दी है. जिसकी विश्वसनीयता पर संदेह नहीं किया जा सकता है."


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को 26 जुलाई तक वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर कोई "विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण" नहीं करने का आदेश दिया था. अदालत ने मुस्लिम याचिकाकर्ताओं को जिला अदालत के ASI सर्वेक्षण आदेश को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का भी निर्देश दिया था.


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