बरेलीः एक स्पेशल सांसद/विधायक कोर्ट ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को नियमित जमानत दे दी है, जिन्होंने 2019 के अभद्र भाषा मामले में अपनी सजा को चुनौती दी थी. इस मामले में दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाए जाने के बाद आजम खान को उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. वहीं, दूसरी तरफ आजम खान को एक बड़ा धक्का तक लगा जब सालों से उनके साथ रहे और उनके मीडिया प्रभारी ने सपा की सदस्यता का त्याग कर अपने समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया. 

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जमानत पर बाहर रहेंगे आजम खान 
खान के वकील जुबैर अहमद ने कहा कि स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश आलोक दुबे ने 27 अक्टूबर को आजम खान को 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अभद्र भाषा के इस्तेमाल के लिए तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी. वकील ने कहा कि उस वक्त उन्हें अंतरिम जमानत दी गई थी और नियमित जमानत के लिए अदालत में अर्जी दी गई थी. उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने खान को नियमित जमानत दे दी है. विधानसभा में रामपुर सदर का प्रतिनिधित्व करने वाले खान सत्र न्यायालय द्वारा उनकी याचिका का निपटारा होने तक जमानत पर बाहर रहेंगे. रामपुर सदर सीट पर विधानसभा उपचुनाव 5 दिसंबर को होना है.


आजम के मीडिया प्रभारी ने थामा भाजपा का दामन
वहीं दूसरी जानिब, आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां शानू ने सोमवार को भाजपा का दामन थाम लिया था. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह के सामने उन्होंने अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल होने का ऐलान किया था. रामपुर में होने वाले उपचुनाव के ठीक पहले वक्त शानू का पार्टी छोड़ना आजम खां के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि शानू ने मुश्किल हालात में भी आजम खां का कभी साथ नहीं छोड़ा था. इनके साथ ही आजम खां के करीबी इरशाद महमूद, नवीन शर्मा और वैभव यादव भी भाजपा में शामिल हो गए हैं. नवीन शर्मा लोहिया वाहिनी के नगर सद्र रह चुके हैं, जबकि वैभव यादव सपा छात्र सभा के जिलाध्यक्ष रहे हैं.

शानू ने कभी अखिलेख के खिलाफ कर दिया था बगावत 
गौरतलब है कि शानू ने विधानसभा चुनाव के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव के खिलाफ बयान दिए थे. उन्होंने कहा था, ’’अब्दुल ही दरी बिछाएगा. अब्दुल ही वोट देगा. अब्दुल ही जेल जाएगा. अब्दुल का ही घर टूटेगा, लेकिन मुख्यमंत्री बनेंगे अखिलेश जी, नेता प्रतिपक्ष बनेंगे अखिलेश जी. अब अखिलेश जी को उनके कपड़ों से भी बदबू आती है.’’ 
शानू का बयान उस वक्त काफी चर्चित हुआ था. उस वक्त माना जा रहा था कि यह बयान आजम खां के इशारे पर दिया गया है, और आजम खां सपा से किनारा कर सकते हैं, लेकिन बाद में आजम खां और अखिलेश के बीच कयासों के ठीक उलट दूरियां कम हो गई. फसाहत अली खां शानू और आजम खां का साथ काफी पुराना रहा है. आजम खां को जब सपा ने जब पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था तो उस वक्त शानू उनके साथ खड़े हुए थे. शानू ने आजमवादी मंच भी बनाया, जिसके वह राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे. लेकिन 2017 में भाजपा की सरकार आने के बाद आजम खां और उनके समर्थकों के खिलाफ मुकदमों की झड़ी लग गई और उत्तर प्रदेश में आजम खान की सियासत का वकार और जलाल खत्म हो गया. 


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