नई दिल्ली: इस्लाम धर्म में मोहर्रम का माह शिया और सुन्नी दोनों मुसलामानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक़, यह नए इस्लामिक साल का पहला महीना माना जाता है. मोहर्रम का महीना शुरू होने के 10वें दिन आशूरा होता है. इस दिन मोहर्रम मनाया जाता है. पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत के गम में मुहर्रम मनाया जाता है. 


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इस मौके पर हम आपको हजरत इमाम हुसैन के ज़रिए कही गई कुछ बेशकीमती बातों के बारे में बताने जा रहे हैं. (Hazrat Imam Hussain Quotes):


➤ ज़ुल्म के ख़िलाफ़ जितनी देर से उठोगे उतनी ज़्यादा क़ुर्बानी देनी पड़ेगी
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम


➤ जिसका मददगार ख़ुदा के अलावा कोई ना हो, ख़बरदार उस पर ज़ुल्म ना करना.
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम


➤ ज़िल्लत की ज़िंदगी से इज़्ज़त की मौत बेहतर
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम


➤ इल्म और बुर्दबारी इंसान की सीरत को आरास्ता करती है
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम


➤ नेक लोग अपने अंजाम से खौफ़ज़दा नहीं होते
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम


➤ सब से ज्यादा सख़ी वो है जो उनको भी दे जिन्हें उस से उम्मीद ना हो
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम


➤ अगर दुनिया में तुम्हे कभी शिद्दत से गम मिले तो घबराना मत, मेरे गम को याद कर लेना तुम्हारे गम का वज़न हल्का हो जायेगा.
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम


➤ अगर दुनिया में इंक़लाब लाना चाहते हो तो तहजीबे नफ्स का आगाज़ खुद से करो दुनिया खुद बदल जाएगी.
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम


➤ जिसके पास अक्ल नहीं उसके पास अदब नहीं, जिसके पास हिम्मत नहीं उसके पास कामयाबी नहीं, जिसके पास दीन नहीं उसके पास हया नहीं.
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम


➤ आला दर्जे का माफ़ करने वाला वो हे जो इन्तेक़ाम पर कुदरत रखते हुए माफ़ कर दे
हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम 


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