हाईकोर्ट ने कहा, `पति अपनी यौन इच्छा पत्नी से व्यक्त नहीं करेगा तो किससे करेगा`, खारिज किया केस
Prayagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज प्रताड़ना और अप्राकृतिक संबंध बनाने के मामले में सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि सभ्य समाज में पति यौन इच्छा अपनी पत्नी से व्यक्त नहीं करेगा तो किससे करेगा. महिला ने अपने पति पर साल 2018 में शिकायत दर्ज कराई थी.
UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच होने वाले शारिरीक संबंध यानी यौन सुख को दोनों के बीच हो रहे झगड़े की सबसे बड़ी वजह बताई. अदालत ने इस मामले में पति के खिलाफ दहेज के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि ये आरोप निराधार हैं और निजी विवादों से प्रेरित हैं. अदालत ने इस मामले में कहा कि नैतिक रूप से सभ्य समाज में पति यौन इच्छा अपनी पत्नी से व्यक्त नहीं करेगा तो कहां जाएगा?
जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता ने प्रांजल शर्मा और दो अन्य के खिलाफ इस मामले को खारिज करते हुए कहा कि प्राथमिकी में प्रस्तुत सबूतों और गवाहों के बयान, दहेज के लिए उत्पीड़न के दावों का समर्थन नहीं करते. अदालत ने कहा कि प्राथमिक आरोप, दंपति के यौन संबंध से जुड़ी असहमतियों के आसपास केंद्रित हैं और ये विवाद दहेज की मांग से जुड़े नहीं हैं. अदालत ने कहा, "यह साफ है कि पक्षों के बीच यह विवाद यौन संबंध स्थापित नहीं होने को लेकर है जिसकी वजह से विपक्षी द्वारा FIR दर्ज कराई गई और दहेज की मांग को लेकर झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाए गए."
महिला ने पति पर लगाए थे ये इल्जाम
दरअसल, नोएडा की रहने वाली मीशा शुक्ला ने जुलाई 2018 को पति प्रांजल शुक्ला पर दहेज की मांग करने और गाली गलौज करने के साथ ही उसे अश्लील फिल्में देखने और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई थी. मीशा शुक्ला की शादी प्रांजल शुक्ला के साथ हिंदू रीति रिवाज से सात दिसंबर, 2015 को हुआ था. शादी के बाद दंपत्ति कुथ दिनों तक सिंगपुर में भी रहे थे. महिला ने आरोप लगाता हुए कहा सिंगपुर में भी उसे पति ने यातनाएं दीं. उन्होंने प्राथमिकी में यह बताया है कि उसके पति को शराब की लत है वो पोर्न फिल्में देखता है और घर में बिना कपड़ों के घूमता है.
ये मनगढ़ंत कहानी है; अदालत
मीशा ने अपने सास मधु शर्मा और ससुर पुण्य शील शर्मा पर दहेज मांगने का भी इल्जाम लगाया था. हालांकि, प्राथमिकी में यह भी साफ किया गया कि शादी से पहले दहेज की कोई मांग नहीं थी. हालांकि, अदालत ने कहा कि इस मामले में विश्वसनीय सबूत से ये आरोप साबित नहीं हुए. अदालत ने कहा, "प्राथमिकी और पीड़िता के बयान पर गौर करने से साफ है कि अगर कोई मारपीट की गई तो वह दहेज की मांग के लिए नहीं, बल्कि यौन इच्छा पूरी करने से मना करने के लिए की गई." अदालत ने 3 अक्टूबर को दिए अपने आदेश में शुक्ला के खिलाफ मामले को रद्द कर दिया. अदालत ने कहा, "हमारे विचार से मौजूदा FIR कुछ और नहीं बल्कि दहेज की मांग को लेकर मनगढ़ंत कहानी है."