Hijab Case: यूनिफॉर्म जरूरी है, उससे किसी को दिक्कत नहीं, लेकिन हिजाब कुछ अलग है: SC में सलमान खुर्शीद
Hijab Raw: सुप्रीम कोर्ट में हिजाब मामले पर बीते कल चौथे दिन की सुनवाई पूरी हुई है. यहां याचिकाकर्ता के पक्ष के वकील सलमान खुर्शीद ने स्कूल कॉलेज में हिजाब पहनने की इजाजत दिए जाने के पक्ष में कहा कि स्कूल में ड्रेस जरूरी है उससे किसी को दिक्कत नहीं है, लेकिन हिजाब कुछ अलग है.
Hijab Raw: कर्नाटक हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में चौथे दिन सुनवाई हुई है. सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि "जरूरी और गैर जरूरी जैसी कोई बात नहीं है. कुरान में जो कुछ है- वह अनिवार्य है और पैगंबर ने जो कहा या जैसा बर्ताव किया है, वह भी अनिवार्य है." हिजाब मामले में अब बुधवार को सुनावाई होगी.
शुक्रवार तक होगी सुनवाई पूरी
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार तक हिजाब मामले की सुनवाई पूरी करने के संकेत दिए हैं. स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति की मांग करने वाले याचिकाकर्ता ने बुधवार को अपनी दलील पूरी करने को कहा है. इसके बाद राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए 2 दिन का वक्त दिया जाएगा.
संस्कृति महत्वपूर्ण है
याचिकाकर्ता के वकील सलमान खुर्शीद के मुताबिक "संस्कृति महत्वपूर्ण है. क्योंकि संस्कृति पहचान की ओर ले जाती है." उन्होंने अपनी दलील देते हुए कहा कि "मुझे ड्रेस कोड की सदस्यता लेनी होगी, लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि मैं इसके अलावा कुछ भी नहीं पहन सकता, जो मेरी संस्कृति या धर्म के लिए महत्वपूर्ण हो?"
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हिजाब कुछ अलग है
खुर्शीद ने कहा कि "जब गुरुद्वारा जाते हैं तो लोग हमेशा अपना सिर ढंक कर रखते हैं. यह संस्कृति है. कुछ देशों में लोग मस्जिदों में अपना सिर नहीं ढकते हैं. लेकिन भारत में हर कोई सिर ढकता है. यह संस्कृति है." सलमान खुर्शीद ने कहा कि "यूनिफॉर्म जरूरी है, उससे किसी को कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन हिजाब कुछ अलग है. कुरान में इसका जिक्र है. ये धर्म और संसकृति दोनों का अंग है."
हिजाब पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्या कहा?
सलमान खुर्शीद ने कहा कि "कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला कुछ नजरिए से भले ठीक लग रहा हो, लेकिन व्यवहारिक तौर पर ये गलत है."
ख्याल रहे कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब मामले में छात्रों की याचिका को खारिज कर दिया था. अदालत ने कहा था कि हिजाब इस्लाम के धार्मिक व्यवहार का हिस्सा नहीं है. अदालत ने यहा भी कहा था कि छात्र-छात्राओं को यूनिफॉर्म के बजाए मनमाने कपड़े पहन कर स्कूल आने का अधिकार नहीं है.
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