AMU Protest: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में दाखिले के लिए हिंदू दलितों और पिछड़ों को आरक्षण देने की मांग को लेकर नवगठित ‘एएमयू आरक्षण संघर्ष मोर्चा’ ने मंगलवार को विरोध मार्च निकाला. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों के मुताबिक, कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच यह विरोध मार्च विश्वविद्यालय परिसर और उसके आसपास निकाला गया. उन्होंने बताया कि इस बीच पुलिस प्रशासन ने एएमयू परिसर की ओर जाने वाली विभिन्न सड़कों पर अवरोधक लगाए थे.


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AMU में विरोध प्रदर्शन
अधिकारियों ने विश्वविद्यालय परिसर के सभी प्रवेश बिंदुओं पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे. प्रदर्शनकारी सिविल लाइंस इलाके में राजा महेंद्र प्रताप चौक पर एकत्र हुए और फिर एएमयू परिसर के प्रवेश बिंदु पर विश्वविद्यालय की परिधि तक मार्च किया. प्रदर्शनकारियों ने AMU विरोधी और कुछ धार्मिक नारे भी लगाए. अधिकारियों के मुताबिक, मार्च निकालने के बाद कुछ प्रदर्शनकारियों ने अवरोधकों से आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उनकी इस कोशिश को नाकाम कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खिताब करते हुए अपर नगर मजिस्ट्रेट संजय कुमार मिश्रा को ज्ञापन सौंपा. मिश्रा ने जिलाधिकारी की ओर से ज्ञापन प्राप्त किया.


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AMU ने उठाए एहतियाती कदम
मिश्रा ने बाद में मीडिया को बताया कि विरोध मार्च शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ. उन्होंने बताया कि ज्ञापन में विश्वविद्यालय में हिंदू दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को तब तक आरक्षण देने की मांग की गई जब तक कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला न सुना दे. AMU के एक सीनियर पदाधिकारी ने बताया कि विश्वविद्यालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए सभी एहतियाती कदम उठाए हैं कि विश्वविद्यालय के एंट्री गेट पर कोई अप्रिय घटना न हो. उन्होंने बताया कि एएमयू विरोधी नारों के अलावा प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालय के पास भड़काऊ नारे भी लगाए.


सुप्रीम कोर्ट के पास रिजर्वेशन देने का हक
पदाधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने ऐलान किया था कि आज (मंगलवार) का विरोध प्रदर्शन तो बस शुरुआत है और उनका संगठन तब तक अपनी मांग पर अड़ा रहेगा, जब तक उनकी मांगें मान नहीं ली जातीं. AMU प्रवक्ता और जनसंपर्क प्रभारी सदस्य प्रोफेसर मोहम्मद असीम सिद्दीकी ने बाद में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, "किसी भी समुदाय को आरक्षण देने का मुद्दा अब पूरी तरह से भारत के सुप्रीम कोर्ट के पास है, जो देश के संविधान और विश्वविद्यालय की कानूनी स्थिति के आलोक में पूरे मामले की जांच कर रहा है."