अदभुत है हिंदू-मुस्लिम दोस्तों की कहानी, एक दूसरे के लिए रखते हैं रोजा, मनाते हैं छठ
बिहार के पटना में एक हिंदू शख्स पिछले 8 सालों से रह रहा है रोजा. इसके बरक्स एक मुस्लिम शख्स कई सालों से छठ पूजा मनाता आ रहा है. दोनों की कहानी दिलचस्प है.
पटना में एक ऐसा हिंदू शख्स है जो पिछले आठ सालों के रमजान के पूरे रोजे रख रहा है. उसका मकसद समाज में साम्प्रदायिक सद्भाव लाना है. वह हर सुबह सेहरी के लिए उठता है और पूरे दिन रोजा रहने के बाद अपने मुस्लिम दोस्तों के साथ इफ्तार करता है. इस हिंदू शख्स का नाम अमरदीप कुमार सिन्हा है. अमरदीप का ताल्लुक बिहार के गया जिले के बाग्ला स्थान से है.
पूरी जिंदगी रखेंगे रोजा
अमरदीप एक धार्मिक मुस्लिम की तरह रोजा रहते हैं. उन्हें रोजा रहने का सुझाव उनके मुस्लिम दोस्तों ने तब दिया जब वह अपने बिजनेस में बड़ा घाटा करा बैठे. अमरदीप ने कहा कि "कई कारोबार में घाटा खाने के बाद मेरी माली हालत बहुत खराब हो गई. इसके बाद मैंने साल 2015 से रमजान के रोजे रखने शुरू किए. उसके बाद से मेरे परिवार में खुशियां लौट आईं." 38 साल के अमरदीप ने एक मीडिया इदारे से कहा कि "मैं जब तक जिंदा रहूंगा रमजान के पूरे रोजे रखूंगा. दो समुदायों के दरमियान साम्प्रदायिक सद्भाव पैदा करना मेरा लक्ष्य है. सभी धर्म एक हैं."
परिवार देता है साथ
अमरदीप का परिवार भी इस काम में उनका पूरा साथ देते हैं. वह उनके मुताबिक खाना तैयार करके देते हैं. जब उनके दोस्त उनके साथ शाम को इफ्तार करते हैं तो वह माहौल बहुत अच्छा होता है. उनके इफ्तार में फल, सूखे मेवे और पकौड़ों के साथ उनकी प्लेट में बहुत कुछ होता है.
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मुस्लिम शख्स मनाता है छठ
अमरदीप के एक मुस्लिम दोस्त नसीम अख्तर हैं जो अक्सर उनके साथि इफ्तार करते हैं. वह अमरदीप की बहुत इज्जत करते हैं. वह एक मिशनरी जील में काम करते हैं. वह चाहते हैं सभी समुदाय के लोग मोहब्बत से रहें. उनके मुताबिक हम सभी एक हैं. अमरदीप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. वह दो समुदायों के बीच एक पुल का काम कर रहे हैं. नदीम पिछले 20 सालों से छठ पूजा मनाते हैं. नदीम के बेटे को लिवर में दिक्कत हो गई थी तबसे वह छठ मना रहे हैं. 60 साल के नदीम अख्तर पिछले कई सालों से छठ पूजा मनाते हैं.
नदीम का परिवार करता है मदद
नदीम का पूरा परिवार उपवास रखने के अलावा छठ पूजा के सभी कर्मकांड फालो करते हैं. वह कई हिंदू परिवारों को छठ का सामान भी देते हैं. समाजिक वैज्ञानिक प्रोफेसर सचिंदरा नारायण ने कहा कि यह इंसानियत के लिए बहुत अच्छा काम है. हमें इसकी तारीफ करनी चाहिए.
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