शरीफ उद्दीन: असम के नौगांव जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे देख कर लोग कह रहे हैं कि अभी भी इंसानियत जिंदा है. मामला दिमोरूगुरी गांव का है. जहां एक हिंदू धर्म के इलेक्ट्रॉनिक रिक्शा चालक विपुल सेकिया ने मौलाना को पैसे लौटाए. विपुल अपने इलेक्ट्रॉनिक रिक्शे में मौलाना अब्दुल रहमान को लेकर जा रहे थे. मौलाना अब्दुल रहमान के पास एक बैग था, जो बैग विपुल के रिक्शे में ही छोड़कर चले गए थे.


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विपुल ने जब बैग को देखा तो उसमें दो हजार और 500 के नोट भरे हुए थे. विपुल ने मौलाना को पैसे लौटाने के लिए पूरे इलाके में ढूंढा. आखिर में मौलाना मिल गए और उनको पैसा लौटा दिया.


मौलाना अब्दुल रहमान ने हम से बातचीत करते हुए कहा कि वह शुक्रवार के दिन घर से निकले थे. एक बैग में 3 लाख 50 हजार रुपए लेकर जा रहे थे. क्योंकि वह बाजार में कुछ घर बनाने की सामग्री लेने वाले थे. उनका एक स्कूल था जिस स्कूल का नाम मरकाज अकैडमी है. उस स्कूल की रिपेयरिंग करने के लिए कुछ सामान खरीदने वाले थे. अब्दुल रहमान जब जुम्मे की नमाज पढ़ कर एक इलेक्ट्रॉनिक रिक्शे में जा रहे थे उसी वक्त रहमान का वह बैग रिक्शे में ही छूट गया. जब रहमान घर पहुंचे तो उन्हें याद आया कि उनके पास एक बैग था जो नोट से भरा था. वह पूरी तरह से परेशान हो गए और दूसरे दिन जिस जगह पर इलेक्ट्रॉनिक रिक्शे में अब्दुल रहमान उठे थे उस जगह पहुंचकर लोगों से पूछा कि किसी को बैग मिली है क्या.


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कुछ ही देर बाद एक इलेक्ट्रॉनिक रिक्शा वाला मौलाना को ढूंढते ढूंढते वहां पहुंचा. इसके बाद वह मौलाना अब्दुल रहमान को अपने घर लेकर गया. घर पहुंचते ही खुद रिक्शा के मालिक सुकेस और उनकी पत्नी ने मौलाना अब्दुल रहमान को नोटों से भरा बैग को लौटा दिया. मौलाना ने सभी के सामने पूरे पैसे गिन लिए. पैसों से भरा बैग पाकर मौलाना खुश हो गए. उन्होंने हिंदू परिवार को आशीर्वाद देते हुए दुआ दी.


इस तरह से अगर हम देखें तो हमारे देश में अब भी सच्चाई और ईमानदारी बाकी है. रिक्शा वाले विपुल और उनकी पत्नी जान सेक्या जैसे लोग गरीब होने के बावजूद भी मेहनत से पैसा कमाना जानते हैं ना कि दूसरे के पैसे का उनको लालच है.


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