हैदराबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल हैदराबाद में उस समय हलचल मचा दी जब उन्होंने देश भर के पार्टी प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद को भाग्यनगर कहा. पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि बंगाल में हमारे कार्यकर्ताओं की हत्या हों रही हैं और वे देश हित पार्टी का झंडा लेकर आगे बढ़ रहें हैं. उन्होंने कहा कि भाग्यनगर में ही सरदार पटेल ने 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' का नारा दिया था. पीएम मोदी ने कहा कि ये वही भाग्यनगर है जहा से सरदार पटेल ने भारत को एस साथ लाने के लिए अभियान शुरू किया था. पीएम मोदी के संबोधन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'पीएम मोदी ने कहा कि हैदराबाद भाग्यनगर है जो हम सभी के लिए अहम है. सरदार पटेल ने यहीं से अखंड भारत की नींव रखी और अब इसे आगे ले जाने की जिम्मेदारी भाजपा की है. यह पूछे जाने पर कि क्या हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जाएगा, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "जब राज्य में भाजपा सत्ता में आएगी, तो मुख्यमंत्री कैबिनेट सहयोगियों के साथ मिलकर इसका फैसला करेंगे.'


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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के नेता हैदराबाद का नाम भाग्यनगर करने की मांग कर रहे हैं. “लोग अक्सर मुझसे पूछते हैं कि क्या हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जा सकता है. मैं उन्हें बताता हूं कि क्यों नहीं.' ये बयान सीएम योगी ने पिछले साल ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनावों के लिए भाजपा के प्रचार के दौरान कहा था.


हैदराबाद के नाम पर कभी न खत्म होने वाली बहस
हैदराबाद भाग्यनगर है या हैदराबाद. इसपर कई सालों से विवाद चल रह रहा है. नाम बदलने की मांग करने वालों का कहना है कि हैदराबाद का नाम पहले भाग्यनगर ही था. इसमें भाग्यमती नाम की महिला का भी जिक्र आता है.


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ऐसा कहा जाता है कि गोलकुंडा राजाओं (जिन्होंने हैदराबाद की स्थापना की) में से पांचवें कुली कुतुब शाह को हैदराबाद की स्थापना से पहले ही भगमती से प्यार हो गया था. उनके पिता, इब्राहिम कुतुब शाह ने पुराना पुल पुल का निर्माण किया ताकि उनका बेटा अपने प्रेमी से मिल सके. बाद में कुली कुतुब शाह ने भागमती से शादी कर ली. नई नए शहर की निर्माण किया तो उस शहर का नाम भाग्यनगर रख दिया. लेकिन जब भाग्यमती ने इस्लाम कबूल कर लिया तो उस शहर का नाम बदल कर हैदराबाद कर दिया गया. कई इतिहासकार इससे सहमति जताते हैं. हालांकि इसको लेकर कई सवाल भी उठाए जाते हैं.


हैदराबाद का नाम बदलने के पीछे भाग्यलक्ष्मी मंदिर
नवंबर 2020 में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव अभियान शुरू करने से पहले केंद्रीय मंत्री अमित शाह द्वारा पूजा-अर्चना करने के बाद भाग्यलक्ष्मी मंदिर सुर्खियों में है. 


चारमीनार से सटे भाग्यलक्ष्मी का इतिहास क्या है? 
चारमीनार से सटे भाग्यलक्ष्मी का ढांचा कब से है, इसका कोई पख्ता सबूत नहीं है. बताया जाता है कि यहां कम से कम 1960 की दशक से तो जरूर पूजा-अर्चना हो रही है. गौरतलब है कि चारमीनार को निर्माण 1591 में शुरू हुआ था. लेकिन, हिंदुओं का दावा है कि चारमीनार से पहले भी वहां भाग्यलक्ष्मी मंदिर मौजूद था. 


भाग्यलक्ष्मी मंदिर को लेकर कब-कब हुआ विवाद ?
हैदराबाद के भाग्यलक्ष्मी मंदिर का जो 'आधुनिक' इतिहास रहा है, उसके चलते वहां कई बार हिंसक विवाद भी हो चुके हैं. 1979 में दिवाली के समय में एमआईएम की ओर से पुराने हैदराबाद में बंद के आह्वान को लेकर हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें मंदिर पर हमला किया गया था. इसके बाद सितंबर 1983 में गणेश उत्सव के दौरान मंदिर पर एक बैनर लगाने को लेकर तनाव भड़क गया था, जिसको लेकर मंदिर और मस्जिद दोनों को निशाना बनाया गया था. सबसे ताजा विवाद 2012 के नवंबर में हुआ था, जब आरोप लगे थे कि मंदिर प्रबंधन ढांचे का विस्तार कर रहा है. इसके बाद आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने मंदिर में किसी तरह के निर्माण की गतिविधि पर रोक लगा दी थी और यथास्थिति को बरकरार रखने के हुक्म दिया था.


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