नई दिल्ली: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने पूरे मुल्क में किए गए सीरो सर्वे (Sero Survey) के पहले दौर के नतीजों का ऐलान कर दिया है. सीरो सर्वे में हिंदुस्तान की देही (ग्रामीण) आबादी को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. सर्वे के मुताबिक गांवों में कोरोनो वायरस 69.4% था. जबकि शहरी झुग्गियों में यह 15.9 फीसद और शहरी गैर-मलिन बस्तियों में 14.6 फीसद दर्ज की गई.


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पहले दौर का सीरो सर्वे भारत के 21 राज्यों के 70 जिलों के 700 गांवों और वार्डों में 11 मई से 4 जून के बीच किया गया था, जिसमें 181 शहरी (25.9 %) इलाके शामिल थे. सर्वे का सैंपल साइज 28000 था. आईसीएमआर की तरफ से जारी सीरो सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 18-45 साल की उम्र में सीरो पॉजिटिविटी शरह (दर) सबसे ज्यादा 43.3% थी, इसके बाद 46-60 साल की उम्र में 39.5% और 60 साल से ऊपर की उम्र के लोगों में पॉजिटिविटी दर सबसे कम 17.2% पाई गई.


सीरो सर्वे के नतीजों के मुताबिक मई के आगाज़ तक 64 लाख (64,68,388) लोगों के कोरोना के राब्ते में आने का अंदाज़ा था. सीरो सर्वे के नतीजे उस वक्त के हालात को दिखाते हैं जब मुल्क मे लॉकडाउन लागू था और बड़ी तादाद में पलायन हो रहा था. सीरो सर्वे में 18 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों का सैम्पल लिया गया था. हिंदुस्तान की 135 करोड़ आबादी का 65 फीसद हिस्सा गांवों में रहता है. ‘हाऊ इंडिया लिव्स’ वेबसाइट के मुताबिक मुल्क के 714 जिलों में कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं.


क्या होता है सीरो सर्वे?
सीरोलॉजिकल टेस्ट या सीरो सर्वे एक तरीके का ब्लड टेस्ट होता है, जो शख्स के खून में मौजूद एंटीबॉडी की पहचान करता है. खून में अगर रेड ब्लड सेल को निकाल दिया जाए, तो जो पीला चीज़ बाकी रहती है उसे सीरम कहते हैं. इस सीरम में मौजूद एंटीबॉडीज से अलग-अलग बीमारियों की पहचान के लिए अलग-अलग तरह के सेरोलॉजिक टेस्ट किए जाते हैं. बावजूद इसके सभी तरह के सीरोलॉजिकल टेस्ट में एक बात कॉमन होती है और वो ये कि सभी इम्यून सिस्टम के ज़रिए बनाए गए प्रोटीन पर फोकस करते हैं. शरीर का यह इम्यून सिस्टम यानी बीमारी से लड़नेकी सलाहियत बाहरी अनासिर (तत्वों) के ज़रिए शरीर पर किए जा रहे हमलों को रोक कर आपको बीमार पड़ने से बचाता है.