अगर रखते हैं कोई जानवर, तो जान लें इसे पालने के नियम, वर्ना आरिफ की तरह फसेंगे
हाल ही में अमेठी के आरिफ और सारस की दोस्ती काफी चर्चा में रही है. उनकी दोस्ती खबरों में आने के बाद लोगों को यह जानने में दिलचस्पी है कि पालतू जानवरों को पालने के क्या नियम हैं.
हाल ही में सोशल मीडिया पर आरिफ नाम के एक शख्स के सारस के साथ कई वीडियो वायरल हुए. सारस और आरिफ की दोस्ती के चर्चे हर जगह हैं. लेकिन सारस और आरिफ की दोस्ती ज्यादा दिन नहीं चल पाई है. वन विभाग ने सारस को आरिफ से अलग करके उसे वन संरक्षण में रखा है. इसके अलावा आरिफ को वन विभाग की तरफ से वन्य जीव संरक्षण कानून तोड़ने के लिए नोटिस जारी किया गया है. इस मामले के बाद इस बात पर बहस होने लगी है कि अगर आप पालतू जानवर रखते हैं तो उसके क्या नियम हैं.
क्या है वन्य जीव संरक्षण कानून?
बेजुबान जानवरों पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए भारत सरकार ने साल 1972 में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारिक किया था. इस कानून का मकसद बेजुबान जानवरों को सुरक्षा प्रदान करना साथ ही उनके शिकार, मांस और खाल के व्यापार पर रोक लगाना है. साल 2003 में इस कानून में बदलाव किया गया. इस कानून को और सख्त कर दिया गया. अब इस कानून का नाम भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 है.
कानून में क्या है?
किसी भी जानवर चाहे वह पाल्तू हो को लोहे की जंजीर या रस्सी से बांधकर रखना अपराध है. अगर आप अपने पालतू जानवर को घर से बाहर नहीं निकलने देते हैं तो यह कैद माना जाता है. ऐसे में आपको 3 साल की कैद हो सकती है.
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IPC की धारा 428 और 429 के तहत अगर किसी बेजुबान जानवर को जहर देकर या किसी दूसरे तरीके मारा जाता है तो दोषी शख्स को 7 साल तक की जेल हो सकती है.
प्रिवेंशन ऑन क्रूशियल एनिमल एक्ट 1960की धारा 11(1) के मुताबिक अगर भारत में किसी जानवर की मौत उसे भूखा प्यासा रखने, उसे छोड़ने या फिर उसे प्रताड़ित करने से होती है तो आपके खिलाफ केस दर्ज हो सकता है. इस तरह के मामलों में पालतू जानवरों के मालिक पर जुर्माना भी हो सकता है. अगर 3 महीने के अंदर दोबारा ऐसा होता है तो मालिक को जुर्माने के साथ 3 महीने की जेल भी हो सकती है.
अगर आप किसी भी पक्षी या सरीसृप को नुकसान पहुंचाते हैं या उनके घोसले को तोड़ते हैं तो आपको 3 से 7 साल की जेल हो सकती है. इसके अलावा 25,000 रुपये जुर्माना हो सकता है. ये अपराध वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 16 (सी) के अंतर्गत आता है.
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