Atishi Cabinet: दिल्ली की मनोनीत सीएम आतिशी (Atishi) की कैबिनेट तकरीबन तय तय हो चुकी है. सूत्रों की मानें तो इस कैबिनेट में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की कैबिनेट के चार मंत्रियों को जगह मिलना तय है. इसमें एकमात्र मुस्लिम चेहरा इमरान हुसैन भी शामिल है.


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इमरान हुसैन चांदनी चौक के बल्लीमारान निर्वाचन क्षेत्र से दो बार के विधायक हैं. 43 साल के आम आदमी पार्टी नेता का आतिशी मंत्रिपरिषद का सदस्य बनना तय है. हुसैन ने केजरीवाल के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में भी खाद्य और नागरिक आपूर्ति और चुनाव मंत्री का पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.


इमरान हुसैन साल 2015 में AAP के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे और भाजपा के श्याम लाल मोरवाल को 33,877 वोटों के अंतर से हराकर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की लता को 36,172 वोटों से हराने के बाद लगातार दूसरी बार विधायक बने.


2012 में बने पहली बार बने थे पार्षद
AAP में शामिल होने से पहले इमारन हुसैन ने 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन तब कांग्रेस के हारून यूसुफ से हार गए थे.  वह अप्रैल 2012 में राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर बल्लीमारान से पार्षद बने थे. 


कौन हैं इमरान हुसैन?
इमरान हुसैन की पैदाइश राजधानी दिल्ली में हुई और यहीं पले-बढ़े. उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी के चारदीवारी वाले शहर इलाके में अपना बचपना गुजारा. अगर आप नेता की शैक्षणिक योग्यता की बात जाए तो उन्होंने दरियागंज के मशहूर क्रिसेंट स्कूल से शुरुआती शिक्षा हासिल की. इसके बाद उन्होंने अपने परिवारिक व्यवसाय को संभालने से पहले जामिया मिलिया इस्लामिया से बैचलर ऑफ बिजनेस स्टडीज की डिग्री हासिल की.


इमरान के साथ ये चार पुराने मंत्री ले सकते हैं शपथ
हुसैन उन चार मंत्रियों में शामिल हैं जिन्हें आतिशी की नई कैबिनेट में बरकरार रखा जाएगा. बता दें कि जिन चार मंत्रियों को आतिशी कैबिनेट जगह मिलने जा रही है, उनमें कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय और इमरान हुसैन शामिल हैं.


आतिशी का 5 महीने का हो कार्यकाल
उल्लेखनीय है कि जेल से निकलने के बाद  दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने 17 सितंबर को उपराज्यपाल विनय सक्सेना को CM पद से इस्तीफा सौंपा था. इसके बाद दिल्ली के नए सीएम को लेकर आप नेताओं ने आतिशी के नाम पर फाइनल महर लगाई. वे 21 सितंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी. हालांकि, उनका कार्यकाल संक्षिप्त होगा, क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव अगले साल फरवरी में होने वाले हैं.