दरभंगाः शिक्षा के मामले में बिहार पूरे देश में सबसे अलग किस्म का राज्य हैं. एक तरफ यहां देश की सबसे ज्यादा निरीक्षर आबादी निवास करती है, वहीं देश में सबसे ज्यादा ग्रेजुएट्स की संख्या वाला राज्य भी बिहार है. यहां की लचर शिक्षा व्यवस्था भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है. अभी बिहार की एक यूनिवर्सिटी का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य के बीमार और बदलाह व्यवस्था के साथ कर्मचारियों की लापरवाही की भी पोल खोल रही है.  


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बिहार के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (एलएनएमयू) में ग्रजुएशन के एक छात्र को हाल में जारी परीक्षा परिणाम में अधिकतम अंकों से भी ज्यादा मार्क्स होसिल होने का हैरतअंगेज मामला सामने आया है. दरभंगा के एलएनएमयू के उस छात्र ने बताया कि मैं परीक्षा के नतीजे देखकर हैरान रह गया. मुझे बीए ऑनर्स की दूसरे साल की परीक्षा में राजनीति विज्ञान के चतुर्थ पेपर में 100 में से 151 मार्क्स मिले हैं. हालांकि यह एक वैकल्पिक मार्कशीट है, लेकिन कर्मचारियों को इसे जारी करने से पहले इसकी जांच करनी चाहिए थी. चूंकि यह टाइपिंग की गलती थी, इसलिए मुझे संशोधित अंकपत्र फिर से जारी किया गया है.


एक अन्य छात्र जिसे बीकॉम भाग-दो में लेखांकन और वित्त (पेपर-4) में जीरो मार्क्स मिले हैं, को अगली कक्षा में प्रोमोट किया गया है. छात्र ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्वीकार किया कि यह एक टाइपिंग गलती थी और उन्होंने मुझे एक संशोधित मार्कशीट जारी किया है. एलएनएमयू के रजिस्ट्रार प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने इस मामले में बताया कि टाइपिंग की गलतियों को सुधारने के बाद दो छात्रों को नई मार्कशीट जारी की गई. यह केवल टाइपिंग संबंधी त्रुटियां थीं और कुछ नहीं.


उल्लेखनीय है कि बिहार के विश्वविद्यालय अपने लेटलतीफ शैक्षणिक सत्र के लिए सबसे ज्यादा बदनाम हैं. यहां ग्रेजुएशन पूरा करने में छात्रों को 5 से 6 साल का समय लग जाता है. परीक्षा में चिटिंग और समय पर परीक्षा परिणाम न निकालना भी यहां की आम समस्याओं में शामिल है.


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