INDIA GDP: भारत ने तीसरे क्वार्टर में उम्मीद की गई जीडीपी से कम अचीव किया है. तीसरे क्वार्टर में भारत की जीडीपी 4.4 फीसद ही रही. हालांकि इसको लेकर आंकलन लगाया गया था कि ये तीसरी तिमाही का आखिर में 7 फीसद तक जाएगी. अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत की जीडीपी में गिरावट होने के बावजूद देश ने चीन से बेहतर प्रदर्शन किया है. इस तथ्य के बावजूद कि भारत केवल वित्तीय वर्षों के लिए अपने आंकड़े रिपोर्ट करता है, आंकडों से पता चलता है कि भारत की फाइनेंशियल इयर 2022 में 7 फीसद बढ़ोतरी होगी.


चीन और भारत की ग्रोथ में है काफी फर्क


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आपको जानकारी के लिए बता दें चीन और भारत की ग्रोथ में काफी अंतर है. चीन ज्यादातर एक्सपोर्ट्स पर निर्भर है. वहीं भारत देश के अंदरूणी मांग पर निर्भर है. चीनी अर्थव्यवस्था के संकुचन का एक अन्य कारण इसके सख्त COVID प्रतिबंध भी बताए जा रहे हैं. अर्थ शास्त्री देवेंद्र कुमार पंत कहते हैं जो देश रूस-यूक्रेन संकट जैसे भू-राजनीतिक स्तर पर जो हो रहा है उससे "कम एकीकृत" हैं, वे कम प्रभावित हुए हैं. उन्होंने यह भी बताया कि चीन जैसे देश बाहरी मांग पर निर्भर हैं, जिसकी वजह से उन्हें "अधिक समस्याओं" का सामना करना पड़ा है.


चीन की जीडीपी में 3 फीसद की ग्रोथ ये काफी खराब स्थिती को दर्शाता है. चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, युआन में 2022 में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी 121,020.7 बिलियन था. जो पिछले सालों की तुलना में 3% की मामूली वृद्धि थी. चीन की जीडीपी साल दर साल चौथी तिमाही में 2.9% बढ़ी.  


सरकार ने 2022-23 के लिए भारत की पूर्ण वित्तीय वर्ष की वृद्धि 7% रहने का अनुमान लगाया है और पिछले वर्ष 2021-22 के लिए अपने रुख को उन्नत किया है. सिर्फ चीन ही नहीं, भारत अन्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. विश्व बैंक के अनुसार, मुद्रास्फीति में वृद्धि, उच्च ब्याज दरों, घटे हुए निवेश, रूस-यूक्रेन संकट आदि के कारण वैश्विक विकास धीमा हो रहा है. इसने यह भी संकेत दिया कि COVID 19 महामारी पुनरुत्थान, भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारक दुनिया को मंदी की ओर धकेल सकते हैं.