भारत का पहला छोटा रॉकेट मिशन विफल, टर्मिनल चरण में हुआ डेटा लॉस का शिकार
AZAADISAT: रॉकेट की उड़ान के लगभग 12 मिनट बाद, इसरो ने EOS-02 और आज़ादीसैट को अलग करने की घोषणा की थी, इसके तुरंत बाद इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि अपने अंतिम चरण में डेटा हानि का शिकार हो गया रॉकेट, मिशन की स्थिति जानने के लिए आंकड़े जुटाए जा रहे हैं.
श्रीहरिकोटाः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को इतवार को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब उसका पहला लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) टर्मिनल चरण में ‘डेटा लॉस’ (सूचनाओं की हानि) के कारण अपने मिशन में नाकाम हो गया. हालांकि, बाकी के तीन चरणों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया था. इस विफलता के बाद अंतरिक्ष एजेंसी अब डेटा लॉस के पीछे की वजह का पता लगाने के की कोशिश कर रही है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब इसरो को अपने पहले प्रक्षेपण मुहिम में झटका लगा है. अंतरिक्ष एजेंसी के लिए सबसे भरोसेमंद माने वाले जाने प्रक्षेपण यान पीएसएलवी की 20 सितंबर 1993 को पहली उड़ान नाकाम हो गई थी.
इतवार की सुबह को किया गया था प्रक्षेपण
गौरतलब है कि अंतरिक्ष में एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह और छात्रों द्वारा विकसित एक उपग्रह को स्थापित करने की मुहिम में एसएसएलवी-डी1/ईओएस-02 ने इतवार की सुबह आसमान में बादल छाए रहने के बीच सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से नौ बजकर 18 मिनट पर उड़ान भरी थी. 34 मीटर लंबे रॉकेट ने करीब साढ़े सात घंटे तक चली उलटी गिनती के बाद उड़ान भरी थी. नियंत्रण केंद्र में वैज्ञानिकों ने उड़ान के तुरंत बाद रॉकेट के हालात की जानकारियां दीं. यहां तक कि मीडिया केंद्र में स्क्रीन पर उपग्रह को अपने प्रक्षेप पथ पर जाते हुए भी देखा गया. हालांकि, इसके बाद अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने उपग्रह में ‘डेटा लॉस’ की जानकारी दी.
तीन चरणों में सफल रहा प्रक्षेपण
सोमनाथ ने श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण के कुछ मिनटों बाद कहा कि सभी चरणों ने उम्मीद के मुताबिक काम किया, लेकिन टर्मिनल चरण में कुछ डेटा लॉस के कारण यह अभियान असफल रह गया.हम आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं, जल्द ही प्रक्षेपण यान के प्रदर्शन के साथ ही उपग्रहों की जानकारी देंगे. उन्होंने कहा कि हम उपग्रहों के निर्धारित कक्षा में स्थापित होने या न होने के संबंध में मिशन के आखिरी नतीजों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं. कृपया इंतजार कीजिए, हम आपको जल्द ही पूरी जानकारी देंगे. हालांकि, अभी मिशन की सफलता पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गयी है.
छात्राओं ने बनाया है आजादीसैट को
गौरतलब है कि इसरो ने इन्फ्रा-रेड बैंड में एडवांस ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपलब्ध कराने के लिए पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को बनाया है. ईओएस-02 अंतरिक्ष यान की लघु उपग्रह श्रृंखला का उपग्रह है. वहीं, ‘आजादीसैट’ में 75 अलग-अलग उपकरण लगे हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है. देशभर के ग्रामीण इलाकों की छात्राओं को इन उपकरणों के निर्माण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा मार्गदर्शन दिया गया था, जो ’स्पेस किड्स इंडिया’ की छात्र टीम के अंतर्गत काम कर रही हैं.
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