Karnatka News: कर्नाटक हाई कोर्ट ने सऊदी अरब में ईशनिंदा से जुड़े पोस्ट करने के आरोप में कर्नाटक के एक शख्‍स को दोषी ठहराए जाने के मामले में अफसरों को विदेश मंत्रालय से कांटेक्ट करने का सुझाव दिया है. जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ ने दरख्वास्त पर गौर करते हुए गुरुवार को यह सुझाव दिया.


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पीठ ने सऊदी अरब में भारतीय अफसरों को पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह से बातचीत  करने की भी सलाह दी.पीठ ने कहा कि नटवर सिंह भी एक IFS अधिकारी थे जिन्होंने 'वन लाइफ इज नॉट एनफ' किताब लिखी थी और अपने काम में इसी तरह की घटनाओं का जिक्र किया था. पीठ ने कहा कि उन्होंने किताब में बताया है कि अगर विदेशी सरकार जानकारी नहीं दे रही तो क्या किया जाना चाहिए.


जस्टिस ने अफसरों से आगे पूछा,"वे नटवर सिंह के साथ इस मुद्दे पर चर्चा क्यों नहीं करते, जिनके पास इस मामले पर व्यापक ज्ञान है". सऊदी अरब में भारतीय दूतावास के एक अफसर मोइन अख्तर ने अदालत को बताया कि अफसर ने सऊदी अरब में अफसरों से अकेले मुलाकात की थी. लेकिन उन्होंने कर्नाटक के आदमी की सजा के हुक्म की कॅापी फराहम करने से इनकार कर दिया.


पूरे मामले पर अफसर मोइन अख्तर ने कहा, "सऊदी अफसरों ने बाद में भारतीय दूतावास को इस संबंध में एक मेल भेजने के लिए कहा था. हालांकि मेल भेजा गया था, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आई है".
उन्होंने आगे कहा कि अधिकारियों ने दोषी शैलेश कुमार से मिलने के लिए वक्त मांगा था और 3 सितंबर को उनसे मिलने की इजाजत दी गई थी. उस दिन हम उनसे सजा की एक कॅापी लेने की कोशिश करेंगे". 



पीठ ने मामले को फिलहाल 11 सितंबर तक के लिए मुल्तवी कर दिया है. कोर्ट ने पहले केंद्र सरकार को राज्य के एक शख्‍स के सजा से जुड़े मामले में सऊदी अरब कोर्ट से फैसले की हुक्म की कॅापी और उससे जुड़े तस्दीक किए हुए दस्तावेज लाने का हुक्म दिया था.


ज्ञात हो कि दक्षिण कन्नड़ जिले में मंगलुरु के नजदीक बरनाकट्टे के रहने वाले शैलेश कुमार को ईशनिंदा के आरोप में सऊदी अरब में 15 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी. वहीं इस मामले में कृष्णा एस दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ ने सजा की जांच के लिए सऊदी अरब के राजा के सामने याचिका दायर करने में मदद करने का भी हुक्म दिये थे.


पीठ ने केंद्र सरकार को ईशनिंदा, देशद्रोह और विश्वासघात के मामलों से जुड़े दया याचिका दायर करने के लिए  पूरी डिटेल बताने का हुक्म दिया था. इससे जुड़े मामले में  में याचिका शैलेश कुमार की पत्नी कविता ने दायर की थी. पीठ ने मामले को 17 अगस्त तक के लिए मुल्तवी कर दिया था.



कविता ने पहले अपने पति को, जो हैकिंग का शिकार हो गया था और सऊदी अरब सरकार ने उसे गिरफ्तार कर लिया था. उसे वहां के जेल से बाहर निकालने के लिए कविता ने केंद्र से गुहार लगाई थी. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें सोशल मीडिया पर देशभक्ति मेसैज डालने के लिए निशाना बनाया गया था.


बीवी ने किया ये दावा
कविता ने दावा किया था कि हैकरों ने उनके शौहर शैलेश कुमार का फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाया और सऊदी अरब के किंग और इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक मेसैज पोस्ट किए.


 उन्‍होंने कहा, “मेरे पति ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक देशभक्ति संदेश डाला था. उन्हें एक अजनबी से धमकी भरा फोन आया था. अजनबी ने शैलेश को सोशल मीडिया अकाउंट वापस लेने की चेतावनी दी थी और अगर उसने ऐसा नहीं किया तो वे उसे सऊदी अरब में नहीं रहने देंगे. शैलेश ने कोई जोखिम न लेते हुए अपना पोस्‍ट हटा लिया था.लेकिन कुछ दिनों के बाद हैकरों ने शैलेश के नाम से एक फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाया और इस्लाम और सऊदी अरब के किंग के खिलाफ अपमानजनक मेसैज अपलोड किए और उन्हें गिरफ्तार करने की साजिश रची".


अदालत ने इस मामले में पुलिस विभाग और अफसरों  के संवेदनहीन रवैये की भी खिंचाई की थी. अदालत ने मामले से जुड़े अदालती हुक्मों का पालन नहीं करने के लिए पुलिस के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की चेतावनी दी थी और कहा था कि एक भारतीय नागरिक विदेशी जमीं पर मुसीबत में फंस गया है और उसे भारत लौटाया जाना चाहिए.