Today in History: भारत के सबसे पहले अखबार की शुरूआत आज ही के दिन हुई थी. इस अखबार का नाम 'बंगाल गजट' था. भारत में पत्रकारिता का इतिहास भी यहीं से माना जाता है. इसकी शुरूआत साल 1779 में हुई थी.  ये न्यूजपेपर हर शनिवार को पब्लिश होने वाला वीकली एडिशन था. अखबार की कीमत 1 रुपए थी. अखबार का सर्कुलेशन 400 से ज्यादा था. अखबार की जबान ब्रिटिश इंग्लिश थी. अख्बार को जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने शुरू किया था. सही मायनों में जेम्स ऑगस्टस ने ही भारत में पत्रकारिता की नींव रखी थी.


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चूंकि अंग्रेजी राज की पहली राजधानी कोलकाता थी इसलिए यह अखबार भी यहीं से शुरू हुआ. बताया जाता है कि उस वक्त इस अखबार ने अपनी खबरों से अंग्रेजी हुकूमत के ऊंचे ओहदों पर बैठे लोगों की चूलें हिला दी थीं. अखबार ने अंग्रेजी हुकूमत के अफसरों के भ्रष्टाचार घूसखोरी और मानवाधिकार उल्लंघनों को को छापा था. बंगाल गजट अपनी पत्रकारिता और अपने काम की वजह से अंग्रेज सरकार की आंखों में चुभने लगा था. यही वजह रही कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने दो साल बाद इस अखबार को बंद करने का हुक्म दिया. 


अंग्रेज हुकूमत में अफसर हेस्टिंग्स ने बंगाल गजट के संस्थापक हिक्की पर मुकदमा दायर कर दिया. मामले में दोषी पाए जाने के बाद हिक्की को जेल जाना पड़ा. हिक्की जेल में रहे फिर भी 9 महीने तक अखबार निकलते रहे. 


कुछ दिनों बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक हुक्म के जरिए अखबार का प्रिंटिंग प्रेस सील करवाया. 30 मार्च 1782 को बंगाल गजट पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया. इसके बाद सरकार ने इसकी नीलामी कर दी. नीलामी में इंडियन गजट ने बोली जीती और इसे खरीद लिया. बताया जाता है कि इंडियन गजट ब्रिटिश सरकार की खबरें छापता था.


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ऐसी खबरें हैं कि बंगाल गजट बंद होने से पहले अंग्रेज अफसर हेस्टिंग्स और सुप्रीम कोर्ट के बीच मिलीभगत के कई सबूत छापे थे. इसके बाद इस मामले में इंग्लैंड सरकार को दखल देना पड़ा. साजिश के तहत अखबार को बंद कराने के जुर्म में हेस्टिंग्स और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को महाभियोग का सामना करना पड़ा.


ऐसे उदाहरण बहुत कम मिलते हैं कि अंग्रेज होकर अंग्रेजी हुकूमत की गलत नीतियों के खिलाफ कोई बोले. लेकिन हुक्की वह शख्स थे. हिक्की ने अपने अखबार के जरिए हेस्टिंग्ज सरकार के प्रशासन की गलत नीतियों की आलोचना की. असल मानो में भारत में पत्रकारिता को सही तरीके से हिक्की ने ही किया. उनके साथ उसके कई साथी भी अंग्रेज हुकूमत की गलत नीतियों की आलोचना करते थे. इस सब को हक बात पर रहने के लिए सजा भी दी गई.


भारत में हर हाल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है. पहले प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की आजादी की रक्षा और पत्रकारिता मिसाल बरकरार रखने के लिए  एक प्रेस परिषद बनाया. 4 जुलाई, 1966 को भारत में प्रेस परिषद की अमल में आया. 16 नवंबर 1966 से प्रेस परिषद ने काम करना शुरू किया.


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