कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री असलम शेख (Aslam Shaikh) ने कहा है कि मुंबई में बने स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का नाम टीपू सुल्तान (Tupu Sultan) के नाम पर होगा.
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Sarijuddin/नई दिल्ली: कई राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से मैसूर के सम्राट टीपू सुल्तान का भूत निकल आया है. महाराष्ट्र में इस पर सियासत तेज है. BJP और कांग्रेस आमने सामने हैं.
दरअसल कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री असलम शेख (Aslam Shaikh) ने कहा है कि मुंबई में बने स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का नाम टीपू सुल्तान (Tupu Sultan) के नाम पर होगा. इसके बाद यहां हंगामा जारी है. इसके बाद से विरोध करते हुए बजरंग दल (Bajrang Dal) और (BJP) के नेता विरोध कर रहे हैं. देश में कई जगह पर इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हो रहा है.
क्या है मामल?
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के मुंबई में मलाड नाम की जगह है. यहां मुसलमानों की अच्छी खासी तादाद है. इसी इलाके से विधायक बनकर असलम शेख (Aslam Shaikh) महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बने हैं. असलम ने अपने विधायक फंड से अपने इलाके में एक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनवाया है. अब वह इस कॉम्प्लेक्स का नाम टीपू सुल्तान के नाम पर रखना चाहते हैं. कॉम्प्लेक्स के नाम पर बजरंग दल और भाजपा नेताओं ऐतराज है. बीजेपी लीडर का कहना है कि हम उस शासक के नाम पर कम्पलेक्स का नाम नहीं रखने देंगे जो हिंदुओं की मौत का जिम्मेदार है.
टीपू सुल्तान को जानें
साल 1750 में कर्नाटक के देवनाहल्ली में मैसूर के शासक हैदर अली खां के घर एक बच्चा पैदा हुआ. इसका नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब रखा गया. बाद में इसी बच्चे को टीपू सुल्तान के नाम से जाना गया. हैदर अली की मौत के बाद बेटा टीपू सुल्तान 1761 में मैसूर का शासक बना था. टीपू सुल्तान को मैसूर के बहादुर शासक के तौर पर जाना जाता है. उनके काम को देखते हुए उन्हें शेर-ए-मैसूर कहा था. टीपू सुल्तान को कुछ लोग बहादुर देशभक्त बताते हैं तो कुछ लोग उनको सांप्रदायिक शासक बताते हैं. बताया जाता है कि मैसूर में हिंदू बहुमत में थे. इसलिए टीपू सुल्तान ने श्रीरंगपट्टनम, मैसूर समेत राज्य के कई जगह मंदिर बनवाए. बताया जता है कि 1759 में आदि शंकराचार्य के बनाए तिरुपति मंदिर पर मराठों ने हमला कर दिया था. इसके बाद टीपू सुल्तान ने इसकी मरम्मत करवाई.
टीपू सुल्तान पर हिंदुओं को मारने का आरोप
टीपू सुल्तान पर लिखी गई किताब में चिदानंद मूर्ति कहते हैं, 'वे बेहद चालाक शासक थे. उन्होंने मैसूर में हिंदुओं पर कोई अत्याचार नहीं किया, लेकिन तटीय इलाको जैसे मालाबार में हिंदुओं पर उन्होंने काफी जुल्म किए.'
इतहासकारों की मानें तो टीपू सुल्तान ने 18वीं सदी में दक्षिण भारत में अंग्रेजों के खिलाफ बहुत मुखर रहे. हैदर अली और उनके बेटे टीपू ने कई बार अंग्रेजो को शकस्त दी.
कुछ इतिहासकार के मुताबिक अंग्रेजों से मंगलौर की संधि भी हुई, लेकिन जब अंग्रेज अपने वादों से मुकरे तो 1799 में दोनों के बीच लड़ाई हुई. इसी दौरान टीपू सुल्तान की सेना के बड़े अफसर मीर सादिक अंग्रेजों से मिल गए. इसके बाद अंग्रेजों से लड़ते हुए टीपू सुल्तान शहीद हो गए थे. मेजर एलेक्जेंडर ऐलन ने अपनी किताब में लिखा है कि टीपू सुल्तान के मरने के बाद भी अंग्रेज सैनिक उनके शरीर को छूने से डर रहे थे.
BJP को ऐतराज
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने 10 नवंबर को टीपू सुल्तान के जन्मदिन पर सरकारी प्रोग्राम का ऐलान किया, तो BJP ने इसका विरोध किया. राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ (RSS) विचारक और राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा (Rakesh Sinha) के मुताबिक टीपू सुल्तान ने हिंदुओं का कत्लेआम किया था. उन्होंने कई मंदिर तोड़े. इसलिए संघ और भाजपा टीपू सुल्तान का विरोध करती है. इसके उलट जानकारों का मानना है कि राजनीतिक लाभ के लिए लोग टीपू सुल्तान का नाम इस्तेमाल करते हैं.
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