IRCTC: आईआरसीटीसी घोटाले में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को सीबीआई की स्पेशल अदालत से बड़ी राहत मिली है. तेजस्वी यादव इस मामले में जमानत पर हैं. तेजस्वी यादव को दिल्ली की अदालत ने सोच समझकर बोलने की नसीहत दी है. अदालत ने उनसे कहा कि वे एक संवैधानिक ओहदे पर हैं इसलिए सही शब्दों का इस्तेमाल सोच-समझ कर करें.  कोर्ट ने तेजस्वी से सख़्त लहजे नें कहा है कि वो आगे से ऐसे बयानात बिल्कुल न दें. उपमुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए ऐसे शब्द उन्हें शोभा नहीं देते. कोर्ट ने फिलहाल ज़मानत रद्द करने का आदेश नहीं दिया है. बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को कोर्ट से राहत मिलने के बाद पटना में जश्न मनाया जा रहा है. 


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तेजस्वी ने कोर्ट में क्या कहा?
तेजस्वी ने कहा कि वे अपोज़िशन में हैं और सरकार के ग़लत कामों पर सवाल उठाना उनकी ज़िम्मेदारी है. मौजूदा सरकार सीबीआई और ईडी का ग़लत इस्तेमाल कर रही है. सभी अपोज़िशन पार्टियों का यही मानना है. तेजस्वी यादव ने अपने जवाब में कहा कि सीबीआई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके द्वारा धमकाने के इल्ज़ामात लगाए हैं. मगर वो प्रेस कॉन्फ्रेंस किसी और मामले पर की गई थी. उसमें आईआरसीटीसी घोटाले का ज़िक्र नहीं था. वहीं दूसरी जानिब केंद्रीय जांच एजेंसी ने अपनी अर्ज़ी में उनकी ज़मानत को रद्द करने की मांग की. CBI ने पूर्व में इल्ज़ाम लगाया कि डिप्टी सीएम उन्हें धमकी दे रहे हैं, एजेंसी ने जांच को प्रभावित करने का अंदेशा भी व्यक्त किया.


क्या है आईआरसीटीसी घोटाला?
आईआरसीटीसी घोटाला वर्ष 2004 से 2009 के समय से जुड़ा हुआ है, जब तेजस्वी के पिता लालू यादव रेल मिनिस्टर थे. उस समय रांची और पुरी में आईआरसीटीसी के होटलों को लीज पर दिया गया था. इल्ज़ाम है कि जिन कंपनियों को ये होटल लीज़ पर दिए गए उसकी एवज़ में लालू फैमिली को 3 एकड़ की ज़मीन पटना में मिली. बाद में वो ज़मीन लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव के मालिकाना हक़ वाली कंपनी को बहुत सस्ती क़ीमत पर बेच दी गई.


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