Islamic Knowledge: इस्लाम हमेशा हक की बात करता है. इस्लाम मरने के बाद आखिरत पर यानी मरने के बाद जिंदा होने पर यकीन करता है. इसलिए इस्लाम में कहा गया है कि आप जो कुछ भी दुनिया में करते हैं, उसका बदला आपको आखिरत में मिलेगा. अगर आप दुनिया में अच्छे काम करते हैं, तो इसका अच्छा बदला मरने के बाद मिलेगा. लेकिन अगर आप दुनिया में कोई गलत काम करते हैं, तो आपको इसकी सजा आखिरत में मिलेगी.


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जुल्म का बदला जुल्म
इस्लाम मानता है कि अगर आपने किसी पर जुल्म किया और वह शख्स कमजोर है. उस वक्त आपसे बदला नहीं ले सका और उसने आपको माफ भी नहीं किया, तो कयामत के दिन वह शख्स आपसे बदला लेगा. इस्लाम में कहा गया है कि आपने किसी गरीब या कमजोर का हक मारा है, तो उसका बदला आपको आखिरत में देना पड़ेगा. 


जुल्म के बदले नेकी
इस्लाम मानता है कि अगर आपने किसी की जायदाद पर कब्जा कर लिया तो उसका बदला आखिरत में देना पड़ेगा. अगर आपने अपने पड़ोसी की जमीन पर कब्जा कर लिया, तो आपको मरने के बाद आखिरत में उसे जमीन देनी पड़ेगी. अगर आपने वहां जमीन नहीं दी, तो उसके बदले आपको अपनी नेकियां देनी पड़ेंगी. इस तरह से आपकी नेकियां कम पड़ जाएंगी और आपको जहन्नम में जाना पड़ सकता है.


आप स. नहीं लेते थे बदला
एक हदीस में इस बात का जिक्र है कि जो शख्स अपने ही गुलाम को बिना किसी वजह के अगर एक कोड़ा मारेगा, तो उसे कयामत के दिन इससे बदला लिया जाएगा. एक हदीस में यह भी जिक्र है कि प्रोफेट मोहम्मद निजी वजहों से किसी से बदला नहीं लिया करते थे.


बदला लेने पर हदीस
एक जगह जिक्र है कि प्रोफेट मोहम्मद स. को एक बार गुस्सा आया लेकिन उन्होंने गुलाम को इसलिए नहीं मारा, क्योंकि उन्हें डर था कि उनसे कयामदत के दिन इसका बदला लिया जाएगा. एक हदीस में इरशाद है कि "हजरत उम्मे सरलमा रजि0 कहती हैं कि नबी स0 उनके यहां बैठे हुए थे. आप स0 ने नौकरानी को बुलाया. उसने आने में देर लगाई तो आप स0 के चेहरे से गुस्सा दिखने लगा. उम्मे सलमा ने परदे से बाहर झांककर देखा तो वह खेल रही थी. उन्होंने उसे बुलाया तो आप स0. ने फरमाया: अगर कयामत के दिन तेरे बदला लेने का मुझे अंदेशा न होता तो मैं तुझे इस मिसवाक से मारता. उस वक्त आप स0 के हाथ में मिसवाक ती."