अब वोट बैंक बनकर नहीं रहेगा पिछड़ा मुसलमान; सियासत में रहेगी बराबर की हिस्सेदारी
दिल्ली में आज मुसलमानों के पिछड़े वर्ग की उन्नती को लेकर बैठक हुई इस दैरान बात हुई कि मुसलमानों के पासमांदा समाज यानी पिछड़े वर्ग को कैसे आगे बढ़ाया जाए. ताकि वह अपने हुकूक को लेकर जागरुक हो सकें. मीटिंग में बात हुई कि पिछड़े वर्ग के लिए सामाजिक, तालिमी औऱ मआशी तौर पर बैदारी बेहद अहम है.
नई दिल्ली: दिल्ली में आज मुसलमानों के पिछड़े वर्ग की उन्नती को लेकर बैठक हुई इस दैरान बात हुई कि मुसलमानों के पासमांदा समाज यानी पिछड़े वर्ग को कैसे आगे बढ़ाया जाए. ताकि वह अपने हुकूक को लेकर जागरुक हो सकें. मीटिंग में बात हुई कि पिछड़े वर्ग के लिए सामाजिक, तालिमी औऱ मआशी तौर पर बैदारी बेहद अहम है. जिसको लेकर अलग-अलग जगह जाकर लोगों को बेदार किया जाएगा.
मुसलमानों के उच्च वर्ग को मिलती है अहमियत
यह प्रोग्राम दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर में हुआ. ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महज के सम्मेलन में पासमांदा समाद के कई मुद्दों का जिक्र हुआ. इस दौरान कई लोगों को पसमांदा मुस्लिम महाज़ के ओहदों से नवाजा गया तो वही इस बात पर जोर दिया गया कि सियासी तौर पर राजनीतिक पार्टियां मुसलमानों के अशराफ तबके (उच्च वर्ग) को ही आगे बढाने की कोशिश करती है और पसमांदा मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक समझा जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा बल्कि पसमांदा मुसलमान अपना अपने हक की लड़ाई लड़ेगा.
अलग-अलग इलाकों में जाकर किया जाएगा जागुरक
प्रोग्राम के दौरान तय किया गया कि आने वाले वक्त में अलग-अलग इलाको में जाकर पसमांदा (पिछड़े वर्ग) समाज को बेदार किया जाएगा. ताकि वो अपने हक़ को लेकर जागरुक हो सकें. मुस्लिम पसमांदा महाज़ के ओहदेदारानों ने कहा कि समाज आगे बढाने के लिए हर फील्ड में काम करने की जरूरत है. जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसकी उतनी भागेदारी की कहावत पर अमल किया जाएगा. मुसलमानों का पसमांदा समाज बरसो बरस से पिछड़ा रहा है. खासतौर पर सियासत में भी इसकी हिस्सेदारी बहुत कम रही है, लेकिन मौजूदा दौर में हालात बदल रहे हैं और पसमांदा समाज अपने हक़ की बातों को रख रहा है.
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