Islamic Knowledge: इस्लाम में नमाज सबसे बुनियादी चीज है. नमाज इस्लाम के पांच बुनियादी सुतून में से एक है. नमाज हर मुसलमान पर फर्ज है. जो शख्स नमाज नहीं पढ़ता है वह इस्लाम से खारिज हो जाता है. इसलिए अक्सर मुसलमान नमाज पढ़ेते हैं. इस्लाम में बताया गया है कि अच्छे तरीके से नमाज पढ़नी चाहिए. देखा गया है कि लोग नमाज पढ़ने में बहु लेटलाही करते हैं. फज्र की नमाज का वक्त गुजर जाता है, उसके बाद सूरज निकलने को होता है उसके बाद लोग जल्दी से नमाज पढ़ते हैं. इस्लाम ने इस तरह नमाज पढ़ने से मना किया है. 


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नमाज के फायदे
नमाज पढ़ने के अपने फायदे हैं. इससे आप बार-बार वजू करते हैं, तो इससे आप फ्रेश रहते हैं. इससे गंदगी नहीं होती. इसके अलावा नमाज पढ़ने से दिमाग से स्ट्रेस भी दूर होता है. आप अगर वक्त पर नमाज पढ़ते हैं, तो वक्त के पाबंद बनते हैं. इससे आप दूसरे काम वक्त से पूरे करते हैं. तकरीबन हर मस्जिद में नमाज का एक वक्त तय कर दिया गया है. उसी वक्त पर नमाज होती है. इस्लाम में जोर दिया जाता है कि लोग मस्जिद में जाकर नमाज अदा करें. इससे ज्यादा सवाब मिलता है. इसका दूसरा फायदा यह है कि मस्जिद जाने से आपके लोगों से ताल्लुकात अच्छे होते हैं. इससे एक दूसरे की परेशानी समझने में मदद मिलती है और लोग एक दूसरे की मदद कर पाते हैं.


नमाज के बारे में जरूरी बात
इस्लाम में जिक्र है कि आप नमाज के लिए वक्त से उठें और अच्छे से रुकू सजदा करते हुए नमाज अदा करें. कोशिश करें मस्जिद में जाकर जमात के साथ नमाज अदा करें. एक हदीस में जिक्र है कि "यह मुनाफिक की नमाज है, वह बैठा सूरज ढलने का इंतिजार करता रहता है यहां तक कि उसकी किरणें पीली पड़ जाती हैं और मुशरिकों के सूरज-पूजा का वक्त आ जाता है. तब वह उठता है और जल्दी-जल्दी चार रकातें निपटा लेता है. ऐस शख्स अपनी नमाज में अल्लाह को तनिक भी याद नहीं करता."


नमाज के हदीस
इस्लाम में जिक्र है कि नमाज में लोग चोरी करते हैं. इसका मतलब यह है कि लोग नमाज पढ़ने के दौरान अच्छे से रुकू सजदा नहीं करते. वह लेटलाही और बेदिली से नमाज पढ़ते हैं. यह नमाजें अदा नहीं होती. इसके बारे में एक हदीस में जिक्र है कि "हजरत अबू कतादा कहते हैं कि अल्लाह के रसूल स0 ने फरमाया: सबसे घटिया चोर वह है जो अपनी नमाज में चोरी करे. लोगों ने पूछा: ऐ अल्लाह के रसूल! नमाज में चोरी का क्या मतलब है? आप स0 ने बताया: नमाज में चोरी यह है कि वह रुकूअ सजदा ठीक से न करे." (हदीस: अल मुंजरी)