Islamic Knowledge: आज के समाज में अक्सर हम सुनते हैं कि औरतों पर इसलिए जुल्म होता है कि उनसे खाना खराब हो जाता है. औरतों से अगर कभी खाने में नमक कम हो जाता है या अगर खाना जल जाता है, तो उन्हें डांट सुननी पड़ती है. अगर किसी वजह से खाना जायकेदार नहीं बना, तो लोग उसे खराब खाना बताकर छोड़ देते हैं. अक्सर औरतें शिकायत करती हैं कि उनके घर वाले कभी उनके खाने की तारीफ नहीं करते हैं. जबकि ये इस्लामी तरीका नहीं है. प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने किसी खाने को खराब नहीं बताया. अगर उन्हें कभी खाना अच्छा नहीं लगा तो उन्होंने उसे चुपके से बिना कोई ऐब निकाले छोड़ दिया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

खाना खाने का इस्लामी तरीका
इस्लाम में खाना खाने के आदाब के बारे में बताया गया है. इस्लाम में कहा गया है कि सबसे पहले आप खाने की नीयत कर लें.
खाना खाने से पहले अच्छे से हाथ- मुंह धो लें, कुल्ली कर लें. खाने से पहले दस्तरखान बिछा लें.
कोशिश करें घर के सभी लोग एक साथ खाना खाएं.
खाना खाते वक्त अगर खाना दस्तरखान पर गिर जाए तो उसे उठाकर खा लेने में कोई बुराई नहीं है.
खाना खाते हुए जूते चप्पल ने पहनें. अगर कुर्सी-मेज पर खाना खा रहे हैं, तो भी कोशिश करें जूते-चप्पल उतार दें.
खाना खाने से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ लें. दाहिने हाथ से खाना खाएं.
जितनी भूख लगी हो उतना ही खाना खाएं. भूख से ज्यादा खाना न खाएं. इससे आपको सुस्ती आएगी और आप बीमार पड़ सकते हैं. 
अपनी पलेट में जब भी खाना लें, थोड़ा लें. उसे खाने के बाद दोबारा ले लें. पहले ही ज्यादा खाना लेकर उसे फेंक देना दुरुस्त नहीं है.
अगर आपके सामने खाना आए तो उसे अच्छे से खाएं. अगर खाने में कोई कमी है, तो उस पर गुस्सा न करें, बल्कि खाना बनाने वाले को बताएं कि वह अगली बार इस तरह न बनाए.
खाना खाने के बाद अल्लाह का शुक्र अदा करें, क्योंकि बहुत से लोग हैं, जो बिना खाना खाए भूखे सोते हैं.


खाने पर हदीस
हजरत अबू हुरैरा रजि. कहते हैं कि "नबी स. ने कभी किसी खाने में नुक्स नहीं निकाला: अच्छा लगा तो खा लिया, नहीं तो छोड़ दिया." (हदीस: बुखारी मुस्लिम)