ISRO ने ब्रिटेन की कंपनी के संचार उपग्रहों का प्रक्षेपण कर रचा इतिहास
ब्रिटेन की कंपनी ‘वनवेब लिमिटेड’ (OneWeb Ltd) ने इस मिशन के लिए इसरो की वाणिज्यिक शाखा एनएसआईएल के साथ करार किया था. ‘वनवेब लिमिटेड’ अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने वाला वैश्विक संचार नेटवर्क है, जो सरकारों और उद्योगों को इंटरनेट ‘कनेक्टिविटी’ मुहैया कराता है.
श्रीहरिकोटा/बेंगलुरुः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सबसे भारी रॉकेट ‘एलवीएम3-एम2’ (heaviest rocket LVM3- M2) ने इतवार को अपने पहले वाणिज्यिक मिशन (commercial mission) के तहत ब्रिटेन की कंपनी के लिए 36 ब्रॉडबैंड संचार उपग्रहों ( communication satellites) को सफलतापूर्वक तयशुदा कक्षाओं में स्थापित कर दिया. इसरो ने अपने इस कामयाबी को ऐतिहासिक मिशन करार दिया है. ब्रिटेन की कंपनी ‘वनवेब लिमिटेड’ ने इस मिशन के लिए इसरो की वाणिज्यिक शाखा एनएसआईएल के साथ करार किया था. ‘वनवेब लिमिटेड’ (OneWeb Ltd) अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने वाला वैश्विक संचार नेटवर्क है, जो सरकारों और उद्योगों को इंटरनेट ‘कनेक्टिविटी’ मुहैया कराता है.
भारती इंटरप्राइजेज वनवेब का एक प्रमुख निवेशक है. ‘वनवेब’ ने कहा, ’’इसरो और इसकी वाणिज्यिक शाखा एनएसआईएल के साथ उसकी साझेदारी ने 2023 तक भारत में दूर-दूर तक कनेक्टिविटी मुहैया करने की प्रतिबद्धता को दिखता है.
इसरो ने पिछली नाकामी का मिटाया दाग
इस कामयाबी के साथ ही इसरो ने सात अगस्त की अपनी नाकामी को पीछे छोड़ दिया है, जब एजेंसी का पहला छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) टर्मिनल चरण में ‘डेटा लॉस’ का शिकार हो गया था, और उससे संपर्क टूट गया था. इतवार को इसरो ने ट्वीट किया, “एलवीएम3 एम2/वनवेब इंडिया-1 मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया है. सभी 36 उपग्रहों को उनके कक्षाओं में स्थापित कर दिया गया है.” श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष यान से रात 12 बजकर सात मिनट पर रॉकेट के प्रक्षेपण के लगभग 75 मिनट बाद सभी 36 उपग्रह कक्षाओं में स्थापित हो गए थे.
8,000 किग्रा तक के उपग्रहों को ले जाने की क्षमता
एलवीएम को 8,000 किग्रा तक के उपग्रहों को ले जाने की क्षमता वाले सबसे भारी उपग्रहों में से एक करार दिया गया है. सोमनाथ ने मिशन नियंत्रण केंद्र में सभा को खिताब करते हुए कहा कि एलवीएम3 और इसके पहले वाणिज्यिक मिशन के पूरी सटीकता के साथ कक्षा में स्थापित होने के साथ ही सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में दिवाली का जश्न शुरू हो गया है.’’ मिशन को ’ऐतिहासिक’ बताते हुए, अंतरिक्ष विभाग के सचिव सोमनाथ ने इसकी सफलता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समर्थन को श्रेय दिया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस कामयाबी के लिए इसरो की तारीफ की है.
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इसरो ने जीएसएलवी मार्क-तीन का नाम बदलकर एलवीएम-3 किया
वहीं, दूसरी तरफ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जियोसिंक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) मार्क-तीन का नाम बदलकर प्रक्षेपण यान मार्क (एलवीएम)-तीन कर दिया है, जो मुख्य रूप से उपग्रहों को विभिन्न कक्षाओं में स्थापित करने के उसके कार्य की पहचान के लिए है. एलवीएम-तीन रॉकेट का इस्तेमाल भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए भी किया जाएगा, जो 2024 के आखिर में संभावित रूप से निर्धारित है और इतवार को वनवेब के 36 उपग्रहों के कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित होने के बाद इसरो के वाणिज्यिक प्रक्षेपणों के लिए एक पसंदीदा यान के रूप में भी उभर रहा है.
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