Jamia News: दिल्ली स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी जामिया मिल्लिया इस्लामिया साल 2020 में CAA और NRC आन्दोलन के बाद से अपनी उपलब्धियों के लिए कम और विवादों के लिए ज्यादा सुर्ख़ियों में रहने लगी है. ये हाल तब है, जब ये लगातार कई सालों से NIRF रैंकिंग में पढाई के स्तर में देश की तीसरी सबसे अच्छी यूनिवर्सिटी का खिताब अपने नाम दर्ज कर रही है. ताज़ा विवाद यहां दीवाली मनाये जाने और उसके कथित विरोध को लेकर हुआ है.


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हर साल की तरह इस साल भी 22 अक्टूबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दीवाली के पहले जश्न मनाया गया. इस दौरान कैंपस में दो छात्र गुटों में झड़प हो गई. जिसके बाद जामिया प्रशासन ने हस्तक्षेप कर किसी तरह स्थिति को शांत किया और जामिया परिसर के बाहर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया . हालांकि, आज भी जामिया में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसको लेकर जामिया प्रशासन और पुलिस बल सतर्क है. इस बीच बीजेपी के स्टूडेंट्स विंग ABVP से जुड़े कुछ कार्यकर्ता ने कैंपस के बाहर जमकर बवाल किया, जिसके बाद प्रशासन ने खिलाफ कार्रवाई करते हुए लाठीचार्ज किया और ABVP के कार्यकर्ता को खदेड़ दिया.



दोनों पक्ष का क्या है इल्जाम
इस मामले को लेकर कई तरह के दावे किए जा रहे हैं. ABVP समूह के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि कुछ मुस्लिम छात्रों ने हमारे दिवाली के दिए पर हमला किया, उसमें लात मारी, जबकि दूसरे संगठनों के छात्रों का आरोप है कि ABVP के लोग हंगामा कर रहे थे और जय श्री राम के नारे लगा रहे थे, जिसके बाद माहौल बिगड़ गया. इसके अलावा इन संगठनों का दावा है कि इस बवाल के पीछे बाहरी छात्रों का हाथ है. जय श्री राम का नारा लागने वाले बाहरी लोग थे. वो कैंपस में अजनबी लोग थे. 


"पहले लगे 'अल्लाह हो अकबर' के नारे" 
वहीं,  राष्ट्रीय कला मंच और युवा के संयुक्त तत्वाधन में दिवाली समारोह का आयोजन करने वाले छात्र गुट ने कहा कि आयोजन से पूर्व दोनों संगठनो ने बकायदा कुलानुशासक कार्यालय से इस प्रोग्राम के लिए स्वीकृति ली थी. छात्र शांतिपूर्ण तरीके से रंगोली, दिये इत्यादि जला रहे थे. इसी बीच मुस्लिम गुट और मेवाती छात्रों द्वारा 'अल्लाह हो अकबर' जैसे धार्मिक नारों के साथ हिंदू छात्रों पर हमला किया गया, जिसमें कुछ हिंदू छात्र गंभीर रूप से चोटिल भी हुए. उनका इलज़ाम है कि इस मामले में जामिया प्रोक्टर टीम के सदस्य निष्क्रिय बने हुए हैं. ये उनकी विफलता की वजह से हुआ है. 


सबसे बड़ा सवाल
दोनों छात्र एक दूसरे पर पहले नारे लगाने का आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जामिया में इतनी बड़ी घटना कैसे हुई? क्या इस घटना के पीछे कुछ बाहरी असामाजिक तत्वों का हाथ है? बाहरी लोग जामिया में कैसे घुसे ? किसने इसकी इजाजत दी? इन सभी सवालों का जवाब देते हुए जामिया के छात्र आफताब आलम ने कहा कि जब कोई छात्र जामिया में एंट्री होती है, तो उसका आईडी कार्ड चेक किया जाता है और फिर एंट्री दी जाती है. लेकिन, 22 अक्टूबर को जामिया गेट पर गार्ड तैनात थे फिर बाहरी लोगों की एंट्री कैसे हुई ?  आफताब का इल्जाम है कि गार्ड बिना आईडी चेक किए कैंपस के भीतर जाने की इजाजत दे रहे थे. 


इस सवाल का जवाब देते हुए आफताब आलम ने कहा कि हां, ABVP संगठन के बाहरी लोग जामिया में आए थे. ऐसे छात्र जामिया आए थे, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ का चुनाव भी लड़ चुके हैं. इस घटना के पीछे ऐसे छात्रों की अहम भूमिका है. ABVP संगठन के बाहरी लोगों ने जामिया में जय श्री राम का नारा लगाया, जिसके बाद यह घटना हुई. इसके लिए जामिया प्रशासन जिम्मेदार है. 


बाहरी लोग जामिया में कैसे घुसे, किसने इसकी इजाजत दी? 
इस सवाल पर एक अन्य छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जब मैं जामिया गया तो मैंने देखा कि गेट पर गार्ड मौजूद थे, जामिया के कुछ छात्र अपने बाहरी दोस्तों को अपने साथ ले जा रहे थे, लेकिन जामिया प्रशासन ने बाहरी लोगों को एंट्री न देने के संबंध में कोई दिशा-निर्देश तय नहीं किए थे. जब मैंने गार्ड से पूछा कि बाहरी लोगों को प्रवेश कैसे मिल रहा है, तो गार्ड ने जवाब दिया कि हम बाहरी लोगों को नहीं रोक सकते, क्योंकि इस कार्यक्रम के लिए इजाजत दी गई है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जामिया प्रशासन के पास बाहरी छात्रों को कैंपस में घुसने की इजाजत थी? इस घटना को लेकर जामिया ने बयान जारी कर दिया है.


जामिया प्रशासन ने क्या कहा?
जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने 22 अक्टूबर 2024 को दिवाली समारोह के दौरान हुई घटना पर बयान जारी किया है. जामिया प्रशासन ने कहा कि यह पूरी तरह से प्रायोजित घटना लगती है और इसमें कुछ बाहरी तत्व शामिल हैं, जो विश्वविद्यालय के शांतिपूर्ण माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. छात्रों को प्रशासन की ओर से दिवाली मनाने की सशर्त अनुमति दी गई थी. शाम साढ़े सात बजे तक सब कुछ शांतिपूर्ण चल रहा था, तभी कुछ अज्ञात लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी. इससे पता चलता है कि भीड़ में शामिल बाहरी तत्वों ने सोची-समझी रणनीति के तहत जानबूझकर हंगामा किया, जिसमें बाद में कुछ अन्य छात्र भी शामिल हो गए. 


थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR
जामिया प्रशासन ने आगे कहा कि इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने जामिया नगर थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है. साथ ही विश्वविद्यालय सीसीटीवी फुटेज और आंतरिक स्रोतों के जरिए आरोपियों की पहचान कर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने की कोशिश कर रहा है.


हिन्दू पर्व- त्योहार पर कैसा रहता है जामिया का माहौल 
जामिया मिल्लिया इस्लामिया भले ही एक माइनॉरिटी नेचर की यूनिवर्सिटी है, लेकिन यहाँ हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों के पर्व- त्योहार सामान श्रद्धा- भाव के साथ मनाए जाते रहे हैं. मुस्लिमों के पर्व ईद में यहाँ छुट्टियाँ हो जाती है. छात्र अपने- अपने घर चले जाते हैं. लेकिन इससे पहले रमजान में यहाँ इफ्तार पार्टी होती है, जिसमें यूनिवर्सिटी के हिन्दू- मुसलमान सभी छात्र हिस्सा लेते हैं. यहाँ, होली और दीवाली जैसे हिन्दू त्योहार भी पूरे जोश-ओ -खरोश के साथ मनाये जाते हैं. होली में मुस्लिम छात्र रंग और गुलाल लेकर आते हैं, तो दीवाली में हिजाब पहनी छात्राएं पूरी तन्मयता के साथ रंगोली बनती है, और दीप जलाती है. यहाँ कभी कोई विवाद नहीं हुआ. 



कैंपस में ABVP का प्रभाव बढ़ने से गर्म हुई सियासत 
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पार्टी आधारित कोई छात्र संगठन वजूद में नहीं है. इस आधार पर कोई चुनाव भी नहीं होता है. हालांकि, छात्रों की समस्याओं के हल के लिए आंतरिक स्तर पर छात्र संगठन हैं, लेकिन उनका कोई सियासी वैचारिक आधार नहीं होता है. यूनिवर्सिटी में कभी- कभार हरियाणा के मेवात और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के छात्रों के बीच आपसी वर्चस्व को लेकर टकराव होते हैं, लेकिन वो कभी हिंसक नहीं हुए, न ही विवाद कभी इस स्तर पर बढ़ा की कैंपस के बाहर ये खबर बन जाए. हालांकि, पिछले कुछ सालों से यहाँ से अब  साम्प्रदायिक नारों और झड़पों की खबरें आ रही है. छात्र बताते हैं कि कैंपस में जब से भारतीय जनता पार्टी के छात्र विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े छात्रों की एंट्री हुई है, यूनिवर्सिटी का माहौल बिगड़ने लगा है. इससे जुड़े छात्र जानबूझकर ऐसे मुद्दों को हवा देते हैं, जिससे विवाद पैदा हो. पिछले साल भी यहाँ छठ पूजा के अवसर पर  होली में भी यहाँ जय श्रीराम और फिर उसके अल्लाहु अकबर के नारे लगे थे.      


कैंपस में नहीं ही लोकतंत्र 
जामिया में पढ़ने वाले छात्र बताते हैं कि यहाँ कैंपस में लोकतंत्र नहीं है. छात्रों को यूनिवर्सिटी प्रशासन डरा कर रखता है. कोई मुद्दा उठाने पर उसका एडमिशन रद्द करने की धमकी दी जाती है. कई छात्रों के साथ ऐसा हो भी चुका है. इसलिए स्टूडेंट्स डर से अपना मुंह नहीं खोलते हैं. दो साल पहले पास आउट एक छात्र नदीम सैफी ने बताया कि यूनिवर्सिटी में अब छात्रों के बीच लोकतंत्र, सोशल जस्टिस, सेकुलरिज्म जैसे मुद्दों को दबाया जा रहा है, यहाँ उग्र राष्ट्रवाद को हवा दिया जा रहा है. 



विश्व हिंदू परिषद के नेता ने क्या कहा?
वहीं, जामिया में जारी बवाल को लेकर विश्व हिंदू परिषद काफी आक्रोशित है. विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दीपावली आयोजन के दौरान हुए हंगामे की निंदा करते हुए सरकार, दिल्ली पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन से उपद्रवियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि ज्ञान के केंद्र जामिया यूनिवर्सिटी में अज्ञानता, अंधकार और राष्ट्र विरोध का प्रभाव इतना ज्यादा बढ़ गया है कि वहां के विद्यार्थी प्रकाश पर्व (दीपावली) तक नहीं मना पा रहे हैं. यह अपने आप में बहुत ही गंभीर और चिंतनीय विषय है. दिल्ली पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन को ऐसे उपद्रवियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटना फिर से ना हो.