Jamiat Ulema-e-Hind Will Merge: भारतीय मुसलमानों के सबसे बड़े सगठनों में से एक जमीयत उलेमा-ए-हिन्द (Jamiat Ulema-e-Hind) के दोनों धड़ों ने एक होने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. कल शाम मौलाना महमूद मदनी (Maulana Mahmood Madani) की अध्यक्षता में हुई मीटिंग के दौरान अध्य्क्ष और महासचिव को छोड़कर सभी ने इस्तीफे दे दिए. मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) गुट भी जमीयत के दोनों धड़ों के एक होने के अमल से राजी हो गया है. 


कई अधिकारियों ने दिए इस्तीफे


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मौलाना महमूद मदनी के गुट के अधिकारियों ने दोनों गुटों को एक करने के लिए सभी अधिकार अध्यक्ष महमूद मदनी को सौंप दिए हैं. बताया जाता है कि अरशद मदनी गुट की तरफ से भी इस्तीफे की कवायद शुरू हो सकती है. इसके बाद दोनों गुट एक हो जाएंगे और नई कार्यकारिणी बनाने के लिए काम किया जाएगा.


विलय से मुस्लिमों को होगा फायद


दिल्ली में हुई बैठक में कई अधिकरियों ने जमीयत के मिलने के फायदे के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि इस विलय से देश के मुस्लिम समुदाय को बड़ा फायदा होगा. 


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साल 2008 में अलग हुए थे दो गुट 


बता दे कि साल 2008 में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द दो गुटों में बंट गयी थी. एक गुट का नेतृत्व मौलाना अरशद मदनी कर रहे हैं जबिक दूसरे गुट का नेतृत्व दूसरे का मौलाना महमूद मदनी. मौलाना महमूद मदनी अरशद मदनी के भतीजे हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अलग-अलग गुट होने के चलते दोनों पर लगातार सवाल उठते रहे हैं. लोगों का कहना है कि जो तंजीम अपना एक अध्यक्ष नहीं चुन सकती वह मुसलमानों के मसाएल कैसे हल करेगी.


मई में दोनों गुट आए थे एक साथ


ख्याल रहे कि इसी साल मई में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने एक जलसे का आयोजित किया था जिसमें दोनों गुट साथ आए थे. जलसे में मथुरा ईदगाह, ज्ञानवाली मामला, कुतुब मीनार और देश में चल रहे मजहबी हलचल पर बात चीत की थी. 


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