रांचीः यहां शहर के एक निजी अस्पताल में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे मेडिकल साइंस को हैरत में डाल दिया है. यहां 21 दिन की एक दुधमुंही बच्ची के पेट से ऑपरेशन कर आठ भ्रूण निकाले गए हैं. ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर्स का दावा है कि किसी बच्ची में एकसाथ आठ भ्रूण मिलना दुनियाभर में अपने तरह का यह पहला मामला है. ऑपरेशन करने वाले डॉ. मोहम्मद इमरान ने बताया कि भ्रूण का साइज तीन से पांच सेंटीमीटर तक है जो पेट में मौजूद एक ट्यूमर के अंदर मिले हैं.

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यह दुनिया का पहला मामला 
‘जर्नल ऑफ नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन’ के मुताबिक, इस हालात को मेडिकल साइंस की भाषा में ‘फीटस इन फीटू’ (एफआईएफ) कहते हैं. डॉ. इमरान ने दावा किया है कि यह दुनिया का पहला मामला है जब पेट से आठ भ्रूण निकाले गए हैं. डॉ. इमरान ने बताया कि पिछले बुधवार को ऑपरेशन कर बच्ची के पेट से आठ की तादाद में भ्रूण निकाले गए थे, जो मेडिकल साइंस की दुनिया की पहली घटना है. डॉ. इमरान ने कहा, ‘‘अब तक मौजूद शोधपत्रों और जर्नल के मुताबिक, एफआईएफ के ज्यादातर मामलों में सिर्फ एक भ्रूण होने की जानकारी मिली है. कहीं भी पेट में आठ भ्रूण मिलने की बात अभी तक सामने नहीं आई थी.’’ 

10 अक्टूबर को पैदा हुई थी बच्ची 
गौरतलब है कि इस बच्ची का जन्म 10 अक्टूबर को झारखंड के रामगढ़ जिले के एक सरकारी अस्पताल में हुआ था. इसके बाद डॉक्टरों ने बच्ची के पेट में गांठ पाई और माता-पिता को फौरन ऑपरेशन कराने की सलाह दी, क्योंकि इससे पेट में दिक्कत हो सकती थी. डॉक्टरों के सुझाव पर माता-पिता ने बच्ची की उम्र 21 दिन होने पर उसे शुरुआती जांच के लिए अस्पताल में दाखिल कराया, तो पेट में ट्यूमर या सिस्ट जैसी किसी चीज का पता चला. यह ट्यूमर डायफ्राम के ठीक नीचे था.

बच्ची की हालत अब बिल्कुल ठीक 
डॉ. इमरान ने कहा, ‘‘हमने ट्यूमर को ऑपरेशन करके निकालने का फैसला किया, और ऑपरेशन एक नवंबर को किया गया. हमे इस हिस्से में एक के बाद एक आठ भ्रूण मिले.’’ ऑपरेशन कामयाब रहा और बच्ची की हालत अब बिल्कुल ठीक है. फिलहाल बच्ची को डॉक्टरों की देखरेख में रखा गया है, और एक हफ्ते में उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी. रांची के रानी चिल्ड्रेन अस्पताल के प्रमुख राजेश सिंह ने कहा, ‘चूंकि यह दुर्लभ मामला है, हम इसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल में पब्लिश करने की तैयारी कर रहे हैं.’’ 

मुल्क में अब तक ऐसे 10 मामले 
डॉक्टरों ने कहा कि अब तक दुनियाभर में एफआईएफ के 200 से भी कम मामले मिले हैं. चिकित्सकों का दावा है कि राज्य में ये पहला मामला है, लेकिन मुल्क में ऐसे 10 मामले अब तक मिल चुके हैं. डॉक्टरों ने बताया कि एफआईएफ की वजह से पेट में भ्रूण बन जाता है और इस स्थिति के लिए हाइली डिफरेंशिएटेड टेराटोमा भी एक वजह हो सकती है. टेराटोमा को जर्म कोशिका ट्यूमर भी कहा जाता है. एक ऐसा ट्यूमर जिसमें दांत, बाल वगैरह दिखते हैं. इसमें ये कोशिकाएं बच्चे के अंदर जाती हैं और एक भ्रूण का शक्ल अखतियार कर लेती हैं. ये जुड़वां बच्चा अपने ही भाई या बहन के पेट में पलते हैं. 

क्या होता है इसका लक्षण 
डॉक्टरों ने बताया कि 10 लाख बच्चों में से किसी एक में ऐसा मामला मिलता है. उन्होंने कहा कि बच्चे में कोशिका कैसे अंदर जाती है इसका कोई ठोस कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है. लक्षणों के मुताबिक, जब बच्चा पैदा होता है, तो पेल्विस यानी पेडू के हिस्से में सूजन रहती है, एक लंप रहता है. पेशाब आना बंद हो जाता है और बहुत तेज दर्द होता है. इन परिस्थितियों में इस तरह के हालत का अनुमान लगाया जाता है, जिसके बाद ऑपरेशन करके इस दूर किया जाता है. 


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