Woman Gave Birth Child at Railway Station: झारखंड के मनोहरपुर से दिल को झकझोर देने वाली खबर सामने आई है. एक महिला को पति के निधन के बाद ससुरालवालों ने घर से बाहर निकाल दिया.  मायके वालों ने भी उसे आसरा देने से इनकार कर दिया. महिला ने स्टेशन में बच्चे को जन्म दिया. दो दिन तक महिला स्टेशन में नवजात के साथ भीषण गर्मी में भूख और प्यास से जंग लड़ती रही. सावित्री बाडरा नाम की महिला मनोहरपुर स्टेशन के प्लेटफोर्म नंबर एक पर अपने नवजात बच्चे के साथ भूखी प्यासी हालत में पड़ी है. ओडिशा के कटक में रहने वाले आजाद समद नामक एक युवक से उसका प्रेम विवाह हुआ था. सावित्री अपने पति के साथ कटक में खुशहाल जीवन जी रही थी. लेकिन इसी बीच चार महीने पहले एक सड़क हादसे में उसके पति की मौत हो गई. पति की मौत के बाद सावित्री के जीवन में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.


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मायके में भी नहीं मिला आसरा
पति की मौत के बाद सावित्री को ससुरालवालों ने घर से निकाल दिया. महिला बड़ी उम्मीद लेकर अपने मायके गई, लेकिन मायके वालों ने भी सावित्री को अपनाने से और घर में रखने से इनकार कर दिया. उसे अपने मां-बाप के घर में भी जगह नहीं मिली. सावित्री गर्भवती थी उसे अपने होने वाले बच्चे की चिंता सता रही थी. वह किसी तरह बीते 24 अप्रैल को मनोहरपुर स्टेशन आई. यहां 24 अप्रैल की शाम को ही उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. मनोहरपुर स्टेशन में तड़पती सावित्री की मदद करने वाला कोई नहीं था. ना रेल कर्मचारी, ना आरपीएफ, ना जीआरपी ना टीटीई और ना ही कोई रेल यात्री.


रेलवे स्टेशन पर दिया बच्ची को जन्म
इस दौरान सावित्री ने मनोहरपुर के प्लेटफॉर्म नंबर एक में बच्ची को जन्म दिया. वह और उसका नवजात बच्ची दो दिनों तक मनोहरपुर स्टेशन में भूखे प्यासे प्लेटफोर्म के फर्श पर पड़े हुए थे. इस बीच किसी ने भी इस बदनसीब मां और बच्चे की मदद नहीं की. मनोहरपुर स्टेशन में 45 डिग्री की चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों के बीच दोनों भूखे प्यासे रहकर कर अपने जीवन से जंग लड़ रहे थे. इस दौरान 26 अप्रैल की शाम मनोहरपुर में रहने वाले तपेश्वर यादव की नजर प्लेटफोर्म में बेसुध पड़े सावित्री और उसके नवजात पर पड़ी. तपेश्वर ने महिला से उसकी परेशानी पूछी. जब सावित्री ने अपनी दुखों से भरी कहानी तपेश्वर को सुनाई तो वे भी काफी भावुक हो गए. जिसके बाद सरकारी अस्पताल से एम्बुलेंस स्टेशन पहुंची और मेडिकल टीम सावित्री और उसके नवजात को लेकर अस्पताल पहुंची. फिलहाल, सावित्री और नवजात का इलाज चल रहा है. 


फरिश्ता बनकर पहुंचे तपेश्वर
विडंबना देखिये कि, स्टेशन में सुरक्षा चाक चौबंद करने का दम भरने वाले रेलवे को भी नहीं पता चला कि उसके स्टेशन में प्रसव के बाद दो दिन से जच्चा-बच्चा जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं. अगर तपेश्वर यादव फ़रिश्ते के रूप में सही समय पर सावित्री की मदद नहीं करते तो शायद स्टेशन में सावित्री किसी अप्रिय घटना का शिकार हो गई होती.