JNU Violence: जेएनयू में क्यों हुई हिंसा, क्या है पूरा मामला? जानें डिटेल
JNU Violence: जेएनयू में एक बार फिर हिंसा का मामला सामने आया है. बीती रात राइट और लेफ्ट विंग में जमकर विवाद हुआ है, मामला चुनाव समिति के मेंबर्स के चयन का है. आइये जानते हैं पूरी डिटेल
JNU Violence: जेएनयू में हिंसा का मामला सामने आया है. यहां लेफ्ट और राइट विंग के बीच जमकर विवाद हुआ है, जिसमें कई लोगों को गंभीर चोट आई हैं. बताया जा रहा है कि यह विवाद कथित तौर पर स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज में चुनाव समिति के सदस्यों के चयन को लेकर शुरू हुआ विवाद नियंत्रण से बाहर हो गया और हिंसा में बदल गया.
यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने क्या कहा?
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि कुछ छात्रों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव समिति के मेंबर्स के सेलेक्शन के लिए स्कूल स्तर पर आम सभा की मीटिंग्स कर रहा है. इस पूरे विवाद के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें एक शख्स डंडा चलाता हुआ नजर आ रहा है. घटना के अन्य कथित वीडियो में एक ग्रुप के जरिए भीड़ को पीटते हुए देखा जा सकता है.
दिल्ली पुलिस ने क्या कहा?
इस मामले को लेकर दिल्ली पुलिस में शिकायक की गई है. पुलिस ने कहा,"हमें दोनों पक्षों से शिकायतें मिली हैं. हम शिकायतों की जांच कर रहे हैं. पुलिस को तीन घायलों के बारे में पता चला है.''
क्या है पूरा मामला?
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने आरोप लगाया कि सेलेक्शन प्रोसेस को रोकने के उनकी कोशिशों को नाकामयाब किया गया. जिसके बाद एबीवीपी सदस्यों ने छात्रों के खिलाफ शारीरिक हिंसा का सहारा लिया. लेफ्ट ने आरोप लगाया है कि एबीवीपी के सदस्यों ने आम छात्रों को निशाना बनाया और अंधाधुंध पिटाई की.
मुस्लिम का नाम आते ही करते हैं विरोध
संगठन ने आरोप लगाया,"उन्होंने मुस्लिम छात्रों को अलग कर दिया और जब भी कोई मुस्लिम छात्र आने वाले चुनाव समिति के लिए अपना नाम प्रस्तावित करता है तो वे उसका विरोध करते हैं. उन्होंने छात्रों को धमकी देकर, लैंगिक और जातिवादी गालियां देकर स्कूल जीबीएम परिसर का माहौल भी खराब कर दिया."
एबीवीपी जेएनयू के अध्यक्ष उमेश चंद्र अजमीरा ने आरोप लगाया कि वामपंथी झुकाव वाले छात्र जीबीएम के दौरान चुनाव प्रक्रिया में धांधली करने का प्रयास कर रहे थे. उनका दावा है कि स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज के छात्रों के जरिए ऐतराज़ किया गया, जिसके कारण पूरी प्रक्रिया 3-4 घंटे से अधिक समय तक रुकी रही.
इस घटना ने अपने राजनीतिक माहौल और सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों में सक्रिय छात्र संगठन की भागीदारी के लिए मशहूर जेएनयू के भीतर विभिन्न छात्र गुटों के बीच बढ़ते तनाव पर चिंताएं फिर से जगा दी हैं.